Wed. Jul 30th, 2025

Category: कवित

धाट री प्रीत अर रीत- आशूदान मेहड़ू

आदरणीय सभी स्वजातिय धाटवासी सज्जनों। दो दिन पहले मैंने सिंधी भाषा मे “पारकर जी प्रीत” नामक शीर्ष से मेरी जन्मभूमि को लोरी दी थी, सिंधी एवं कच्छी भाषा के धाट…

पारकर जी प्रीत- आशूदान मेहड़ू

पारकर जी प्रीत- आशूदान मेहड़ू आज जयपुर में रिमझिम बारिश बरस रही है.. ऐसे सुहावने मौसम में जन्मभूमि *”पारकर”* की याद उमड़ पड़ी.. बच्पन जहां बीता, जवानी के जश्न मनाए…

करणीजी रा छप्पय- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

महाकवि चैनकरणजी सांदू ने कहा है- देवी नव दिन्नांह, साचै मन समरण करां। तीन सौ साठ दिनांह, विघन न व्यापै बीसहथ।। आप सभी सहृदय सज्जनों को पावन नवरात्रि शुभारंभ की…

देवी स्तुति – नरपतदान आशिया ‘वैतालिक’

हैदराबाद स्टूडियो में “देवी स्तुति” की रिकॉर्डिंग। कविता: नरपत आशिया वैतालिक रचना: रामावतार दयामा जी, गायक: पूरवा गुरु जी नवरात्रि पर स्तुति रिलीज होगी। देवी स्तुति जय जग जननी! आसुर…

बड़ो नगर बाढाण – रिड़मलदांन बारहठ भियाड़

बड़ो नगर बाढाण दोहा वरसाती लुणी वहै महिमा धर मालाण नांमी मांणस नीपज्या बडोनगर बाढांंण–१ परचा धूहड् पाविया नंमो राय नागांण कुलदैवी कंमधज री बडो नगर बाढांण”–२ रायपाल थूहंडृ रै…

डॉ. शक्तिदान कविया री रचना दारु दूषण (सोरठा)

सुरसत थारी सेव,गणपत नै ध्यावूं गहर।भल ुकती दौ भेव,दारु-दूषण दाखवूं।।1 मारु डूब मरंत,दारू रै दरियाव में।उता समंद जल अंत,मरे न डूबै मांनवी।।2 इमरत देवां आप,दारू असुरां नै दियौ।मंगल अठी मिलाप,दंगल…

नागदमण – सांयाजी झूला

सांयाजी झूला महान दानी, परोपकारी भक्त कवि थे। वे कुवाव गांव गुजरात के निवासी थे। इन्होंने अपने गांव में गोपीनाथ भादेर, मंठीवाला कोट, किला तथा बावड़ियां बनवाई थी। जीवन के…

ध्रुव स्तुति – महात्मा नरहरिदास बारहठ

“अवतार चरित्र” ग्रन्थ में ध्रुव-वरद अवतार की स्तुति ।।छन्द – कवित्त छप्पय।।ऊँकार अपार, अखिल आधार अनामय।आदि मध्य अवसान, असम सम आतम अव्यय।एक अनेक अनंत, अजीत अवधूत अनौपम।अनिल अनल आकाश, अंबु…

शिव स्तुति – महात्मा नरहरिदास बारहठ

।।शिव स्तुति।।(सवैया-घनाक्षरी)वृषभको वाहन बिछावनौ है लोमविष,विषईतुचा को वास क्रोधके निकेत है।आसीविष भूषण, भखन विष विंधुमाला,मंगल तिलक सर्वमंगला सहेत है।।विषय विनाश वेष रहत विषैही रत्त,शूल औ कपाल इहिं संपति समेत है।देखौ…

मूऴजी करमसोत रो मरसियो – लाऴस उमरदानजी रो कह्यौ

गाँव धणारी के राठौड़ मूऴजी करमसोत, जोधपुर महाराजा जसवन्तसिंह द्वितीय के समय नागौर के हाकिम थे, वे बहुत उदारमना एंव काव्य-प्रेमी तथा चारणों का अति-विशिष्ठ सम्मान करने वाले व्यक्ति थे।…