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Category: कवित

छँद देवलजी माँ – कविराज जूझारदान दैथा ‘मीठड़िया’

।।दूहा।। अवरळ वॉणी उर वसौ मात चण्डी मँहमाय । आखों दैवळ औपमा रूप गिरॉ सुरराय ।।१।। छँद रौमकँद सुरराय सदा अघ मेटण सॉप्रत पाय नमौ पह रीत पणॉ । रवराय…

देवल माँ- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

।।दूहा।। माडधरा में माड़वो, पहुमी बडी पवीत। सदन भलै रै शंकरी, अवतारी अघजीत।।1 देवल भलियै दीकरी, है बीजी हिंगल़ाज। प्रगट माड परमेसरी, सगतां री सिरताज।।2 माडधरा में माड़वै, धर खारोड़ै…

महाशक्ति देवलजी- गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

महाशक्ति देवल जिन्होंने अपने पिता की जागीर का चौथा हिस्सा अपने पिता के सेवक जो कि बेघड़ जाति का मेघवाल था को देकर बनाया था जमींदार। आजादी के बाद, उस…

उदयपुर कन्या चारण छात्रावास के लिए कविता-रणजीत सिंह रणदेव चारण

जय श्री करणी माँ, जय लुंग माँ,  जय सोनल माँ उदयपुर कन्या चारण छात्रावास के लिए कविता हें शिक्षा न्यारी, हें सब को प्यारी, कहीं-कहीं होती इसकी बंटवारी। देखी मैंने…

ए-मेरे भाई वों कौन थी?- रणजीतसिंह रणदेव कृत

ए-मेरे भाई वों कौन थी? (रणदेव कृत)   ये हर उस बेटे से एक बहिन(बेटी) का सवाल हैं जिस बेटे ने अपनी माँ को बुढापें में छोड दिया।  ———————————————– ए-मेरे…

बेटी आयी तेरे घर- रणजीत सिंह चारण “रणदेव”

बेटी आयी तेरे घर   बेटी आयी तेरे घर, लक्ष्मी सी वों जन्म पर। भेजा उस भगवान ने,,तुझ पर विश्वास कर।।   और भी घर खूब हैं,  जहाँ होता बेटी…

दीपमालिका का दीपक- डाॅ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

दीपमालिका का दीपक मानव इस सृष्टि मे ईश्वर की सुंदरतम कृति है और वह अपने विवेक के लिए विश्ववरेण्य है। प्राणिजगत में मानव अन्य प्राणियों से अलग है तो वह…

राजस्थान की प्रशिद लोक देवियां कवित – कवि मधुकर माड़वा (भवरदानजी)

राजस्थान की प्रशिद लोक देवियां कवित कवि मधुकर   करनल मात कहै, देशनोक बीकानेर, चुवां वाली देवी जग, चावा जस चया है। तैमड़ा तणोट आद स्वांगिया मालण तहां, जगत जैसांण…

बारहठ केसरीसिंहजी और कोटा महाराव उम्मेदसिंहजी ~ राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा (सीकर)

।।बारहठ केसरीसिंह जी और कोटा महाराव उम्मेदसिंह जी।। ।।कहाँ वे लोग, कहाँ वे बातें।। महान क्रान्तिवीरों के अग्रणी केसरीसिंह जी के आभा मण्डल से घबराकर ब्रिटिश सरकार के वायसराय व…

महाभारत का प्राकृतिक नीति-पाठ ~ राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा (सीकर)

।।महाभारत का प्राकृतिक नीति-पाठ।। क्रांतिचेत्ता अग्रदूत वीरवर ठाकुर केसरी सिंह जी बारहठ साहब ने, अंग्रेजों की अजेय शक्ति जिसके राज में सूरज कभी भी अस्त नहीं होता था, उससे टक्कर…