Fri. Aug 1st, 2025

Category: कवित

कल़ायण — कवि स्व. मनुज देपावत

धरती रौ कण-कण ह्वे सजीव, मुरधर में जीवण लहरायौ। वा आज कल़ायण घिर आयी, बादळ अम्बर मं गहरायो।। वा स्याम वरण उतराद दिसा, “भूरोड़े-भुरजां” री छाया ! लख मोर मोद…

कवि मनुज देपावत का आह्वान- डाॅ गजादान चारण “शक्तिसुत”

जिसने जन-जन की पीड़ा को, निज की पीड़ा कर पहचाना। सदियों के बहते घावों पर, मरहम करने का प्रण ठाना। महलों से बढ़कर झौंपड़ियां, जिसकी चाहत का हार बनी। संग्राम…

माँ करणी मेरवान – मधुकर

कय मधुकर जय करनला, किरपा दय किनियान। काव्य सधर लय कथणी, सय सुख घर शुभियान। साय तमां रिछपाल हमां सद, आप नमां अहसान अपारा। हाँ हम बाल झिकाल किया हद,…

तनै रंग दसरथ तणा

बाप दियो वनवास, चाव लीधो सिर चाढै। धनख बाण कर धार, वाट दल़ राकस बाढै। भल लख सबरी भाव, आप चखिया फल़ ऐंठा, सारां तूं समराथ, सुण्या नह तोसूं सैंठा। पाड़ियो मुरड़ लंकाणपत, भेल़ो कुंभै…

श्री हनुमान जी रो छंद- राजेन्द्रदान (कवि राजन)

परम् भगत पराक्रमी हड़मत वड हाथाळ। राम नाम रटतो सदा कपी बड़ो किरपाळ।। कोप लंकापती कियो सीय लेगयो साथ। गुण राम रा गावतों पतो कियो परभात।। छंद त्रिभंगी कपी किरपाळा…

श्री चैलक राय रो छंद- रचना- राजेन्द्रदांन विठू (कवि राजन) झणकली

श्री चैलक राय रो छंद- रचना–राजेन्द्र दांन विठू (कवि राजन) झणकली चैलक रायां चारणी है तूँ ही हिंगलाज। समरयो लीजो सारणी कवि राजन हर काज।। उठत बेठतो आवड़ा चालतो मग…

श्री देवल माँ रो छंद, रचना -राजेन्द्रदांन (कवि राजन) झणकली

श्री देवल माँ रो छंद रचना–राजेन्द्र दांन(कवि राजन)झणकली देवल माँ वरदायनी साचा परचा सगत। सेवगोंय सुख सारणी भांगे पीड़ भगत।। भलियो जी बड भागियो जिण घर जलमी सगत। देवला नाम…

आज तरछोड माँ जोगमाया – कवि दुला भाया “काग”

आज तरछोड माँ जोगमाया – कवि दुला भाया “काग” भान बेभानमां मात ! तुजने रट्या, विसारी बापनुं नाम लीधुं…, चारणो जन्मथी पक्षपाती बनी, शरण जननी तणुं एक लीधुं…, तें लडावी…

श्री लूंग माँ रो छंद- राजेन्द्रदान बीठू (कवि राजन) झणकली

श्री लूंग माँ रो छंद   रचना- राजेन्द्रदान विठू (कवि राजन) झणकली संकटों कीजो शायता सरवत दीजो साथ बेल आवजो वीश हथ हरदम हाथो हाथ।। भय दुख पीड़ा भाँगजे दीजे…