Sat. Aug 2nd, 2025

Category: कविता

मने बोलावे छे ~ जयेशदान गढवी

​मने बोलावे छे, शिखर हिमालय ना, गिरनार नी याद आवे छे​ * मने बोलावे छे, शिखर हिमालय ना, गिरनार नी याद आवे छे। गुफाओ अने कंदराओ गुंजवतो, को’क गेबी साद…

लखपत ~ जयेशदान गढवी

मित्रो आपणो, लखपत तालुको ऐटले राष्ट्र नी सरहदे अनेक चढाव उतार जोइ बेठेलो, हिंदु, मुस्लिम, शीख धरमो ना आस्था स्थानो नो समन्वय। तथा पाणी वगर ना प्रदेश नी पाणीदार प्रजा…

शब्द ना सहारे ~ जयेशदान गढवी

।। शब्द ना सहारे ।। * करूं छुं वात भीतर नी, शब्द ना सहारे। जमावट छे जिगर नी, शब्द ना सहारे। * न साथी न संगी न काफलो के भोमियो।…

फुलडा नी फांट ~ जयेशदान गढवी

।। फुलडा नी फांट ।। ( कवि ने कोइ अगोचर शकित रोज फांट भरीने फुलडा आपे छे अने तेनाथी कविता गुंथी कवि जगत समक्ष रजु करे छे, ऐवा भावनु आ…

जीवन नो अधिकार ~ जयेशदान गढवी।

* जगत सामे जो बाथ भरे , तो जीवन नो अधिकार तने। तारी भुजाए तुं जो तरे , तो जीवन नो अधिकार तने। * कोइ नथी अहिंया तने शीळी छांया…

विवेक वाणी ~ जयेशदान गढवी

( योद्धा संन्यासी स्वामी विवेकानंदजी के कुछ मंत्रों को इस काव्य में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है) ।। विवेक वाणी ।। * रोमरोम को जागृत करके रक्तबिंदु में आश…

जाग हवे तुं, जाग रे जोगी ~ जयेशदान गढवी

(आत्मा जोगी छे, मन भोगी छे। ज्यारे आत्मभाव जाग्रत थाय छे, त्यारे निज ना साचा स्वरूप नी ओञख थाय छे। ऐवा निजतत्व ने जाग्रत करवा आह्वान करतु काव्य……) ।। जाग…

गुरु मारी आतम ज्योत जगावो ~ जयेशदान गढवी

वञग्युं छे मनडुं मोह केरी वाते। चित ने जागी झंखना, सुरज नी मधराते। अंजवाञा पाथरवा ने आवो…. गुरु मारी आतम ज्योत जगावो…… * जीव मारे फांफा जीव ने स्वभावे ।…