Thu. Nov 21st, 2024

Category: कविता

कमाल जिंदगी – डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

मैं देख देख हो रहा निहाल जिंदगी, कदम कदम पे कर रही कमाल जिंदगी। वो गाँव जो कि टीबड़ों के बीच में बसा हुआ, कि अंग अंग अर्थ के अभाव…

रजवट भाषा नै राखणियां, आवो मिल साथ आवाज करे- भंवरदान (कवि-मधुकर माडवा)

आज तीस मार्च राजस्थानी दिवस मोके पर मायड़ भाषा मान्यता तेज करनै कि मुहिम का आहवान करता मधुकर काव्य निजर । राजस्थानी दिवस री, तारिक आयी तीस। मायड़ भाषा मधुकरा,…

अनवरत प्रेम को खोजती – डॉ. रेवंत दान बारहठ

डॉ. रेवन्त दान राजस्थान की हिंदी कविता के उदीयमान हस्ताक्षर हैं। उनकी कविताएँ जन जीवन के संघर्ष और आशा-विश्वास की तेवरी रचनाएँ हैं। कवि की प्रेम कविताएँ ‘मिट्टी’ से उगा…

प्रशंसा – डाॅ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

प्रशंसा बहुत प्यारी है, सभी की ये दुलारी है, कि दामन में सदा इसके, खलकभर की खुमारी है। फर्श को अर्श देती है, उमंग उत्कर्ष देती है, कि देती है…

मांडणा ~ डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

उर रख कोड अपार, रीझ कर त्यार रँगोली प्रिया-विष्णु पधार, बहुरि मनुहार सुबोली। सिंधुसुता सुखधाम, नाम तव है घणनामी। तोड़ अभाव तमाम, अन्न-धन देय अमामी। कवि अमर-सुतन ‘गजराज’ कह, मांडै…

बाती को मत फूंक लगा ~ डाॅ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

दीपों की जगमग ज्योति के माध्यम से संसार को ज्ञान, प्रेम, सौहार्द, समन्वय, त्याग, परोपकार, संघर्ष, कर्तव्यपरायणता, ध्येयनिष्ठा एवं रचनात्मकता का पाठ पढ़ाने वाले विशिष्ट त्योहार दीपोत्सव की हार्दिक बधाई…

बध-बध मत ना बोल ~डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

बध-बध मत ना बोल बेलिया, बोल्यां साच उघड़ जासी। मरती करती जकी बणी है, पाछी बात बिगड़ जासी।। तू गौरो है इणमें गैला, नहीं किणी रो कीं नौ’रो। पण दूजां…

बालक हूं बुद्धू मत मानो ~डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

इक दिन उपवन में आयुष जब घूम रहा था मस्ती करता कलियों-पुष्पों से कर बातें कांटों पर गुस्सा सा करता तभी अचानक उसके कानों इक आवाज पड़ी अनजानी बचा-बचाओ मुझे…