जय माँ इन्द्रेश
!! जय माँ इन्द्रेश !! ( "दोहा" ) बरणू किरत बीसहथी, देवी करजै दाय ! इंद्र करूँ अाराधना , सुत राखो शरणाय !! चढयो चाव माँ छंद रो, बंध न…
!! जय माँ इन्द्रेश !! ( "दोहा" ) बरणू किरत बीसहथी, देवी करजै दाय ! इंद्र करूँ अाराधना , सुत राखो शरणाय !! चढयो चाव माँ छंद रो, बंध न…
आदरणीय कविया हिंगऴाजदानजी विरचित इंद्र बाईसा का यह छंद अपने आप में अनूठा व अवलोकनीय है जिसमें राजस्थानी में संस्कृतंम का सुमेल कर सृजित किया है। ।।छंद-शिखरणी।। ओऊँ तत्सत इच्छा…
इन्द्रबाई माताजी(खुड़द) का छंद (75 साल पूर्व रचित) ।।दोहा।। आद भवानी इश्वरी, जग जाहेर जगदंब। समर्यां आवो सायजे, वड हथ करो विलंब।। चंडी तारण चारणों, भोम उतारण भार। देवी सागरदांन…