मनरंगथली मझ मात रमें – छंद : रोमकंद
!!दोहा!! गुण लिखतां गुणपत थके, बरणत सुरसत व्यास! मात तिहारै चरित को, दाखि सकै किम दास? १ नहीं छंद, रस भी नहीं, पास नहीं लय प्रास! रास तऊ रचणौ चहें,…
!!दोहा!! गुण लिखतां गुणपत थके, बरणत सुरसत व्यास! मात तिहारै चरित को, दाखि सकै किम दास? १ नहीं छंद, रस भी नहीं, पास नहीं लय प्रास! रास तऊ रचणौ चहें,…
डोकरी – गज़ल नरपत आसिया “वैतालिक”बैठी घर रे बार डोकरी!किणनें रही निहार डोकरी!हेत हथाई अपणायत री,टाबर रे रसधार डोकरी!बाल़कियां री हरपल़ बेली,बण बाघण खुंखार डोकरी!धीणां, डांगर, प्हैला आंगण,राख नीरती न्यार…
हैदराबाद स्टूडियो में “देवी स्तुति” की रिकॉर्डिंग। कविता: नरपत आशिया वैतालिक रचना: रामावतार दयामा जी, गायक: पूरवा गुरु जी नवरात्रि पर स्तुति रिलीज होगी। देवी स्तुति जय जग जननी! आसुर…
।।छंद – मधुभार।। करुणा निकेत,हरि भगत हेत। अद्वैत-द्वैत, सुर गण समेत।१ हे वंश हंस।अवतरित अंश। नाशन नृशंश।दशकंध ध्वंश।।२ रघुनाथ राम। लोचन ललाम। कोटिश काम।मनहर प्रणाम।।३ मुखहास मंद।कारूण्य कंद। दशरथ सुनंद।दुखहरण…
पंथ विकट पाळो चलण, माथे अनड मुकाम। हुकम करो हिंगळाज मां, हिये दरस री हाम॥1 मन मंदिर मँह मावडी, करता रोज मुकाम। महर करो माजी हमें, हिये दरस री हाम॥2…
🍀नाराच छंद🍀 शिवा! अनूपमेय! शक्ति! सांभवी! मनोहरी! । त्रिशूलिनी! भुजंग-कंकणा! , त्रिलोकसुंदरी। सुभव्यभाल, केश-व्याल, माल -लाल, कंजनी। भजामि मात हिंगल़ाज भक्त भीड भंजणी।।१।। ध्वनि मृदंग ध्रंग ध्रंग चारू चंग बज्जही।…