Fri. Aug 1st, 2025

Author: मोहनसिंह रतनू (चौपासनी)

देस-देस रा दूहा- मोहनसिंह रतनू

ऊंचो तो आडावल़ो, नीचा खेत निवांण। कोयलियां गहकां करै, अइयो धर गोढांण।। उदियापुर लंजो सहर, मांणस घण मोलाह। दे झोला पाणी भरे, रंग रे पीछोलाह।। गिर ऊंचा ऊंचा गढा, ऊंचा जस…

जीत रण बंका सिपाही – कवि मोहनसिंह रतनू

आज संकट री घडी हे, देश पर विपदा पडी हे, कारगिल कसमीर मे, कन्ट्रोल लाइन लडखडी हे। जुध रो बाजे नगारो, सुण रह्यो हे जगत सारो, दोसती री आड दुसमण,…

बैशक दीजो बोट – कवि मोहनसिंह रतनू

दिल मे चिंता दैश री,मन मे हिंद मठोठ। भारत री सोचे भली, बीण ने दीजो बोट।। कुटलाई जी मे करे,खल जिण रे दिल खोट। मोहन कहे दीजो मति,बां मिनखां ने…

चिरजा – मोहनसिंह रतनू

।। चिरजा ।। मनवा मात सुमर जग मोंही थारो अवसर जाय अकाजा….टेर दिल सुध सू आवे दुखियारी,देसनोक दरवाजा । रोग दोस हर मात रूखाले,तन कर देवे ताजा ।। मनवा….१ ढोल…

गरमी मे गुडफील – मोहनसिंहजी रतनू 

गरमी भीसण गजबरी,सिरपर रखिये साल। छक कर पीवो छाछने,रखिये साथ रुमाल।।१ गरमी भीसण गजबरी, खाणी अलप खूराक। पाणी ज्यादा पीवणो, छोड दिराणी छाक।।२ गरमी भीसण गजबरी,खाणा नित खरबूज। खस खस…

शहर बडो जयपुर सुखद – श्री मोहनसिंह रतनू

शहर बडो जयपुर सुखद, भली सुचंगी भोम। जंतर मंतर जोयबा, ऊरे पधारो ओम।। १ नींव धरी जय नृपने, कुल कुरम बड कोम। जस छायो सह जगत मे, आयर देखो ओम।।…

खरी कमाई खाय – कवि मोहनसिंह रतनू

खोटा रूपया खावतो, जावे सीधो जेल। मिल जावे रज माजनो, बंश होय बिगड़ैल।।1 खोटा रूपया खावतो, लगे एसीबी लार। निश्चय जावे नौकरी, बिगड़ जाय घरबार।।2 खोटा रूपया खावतो, चित्त में…

मां मोगल मछराळ ~ मोहन सिंह रतनू

शीश नमाऊं शारदा, सुमरू देव सुण्डाळ। जस बरणूं जगतंब रो, मां मोगल मछराळ।।1 ओखा धर जनमी उमय, ईहग बरण उजाळ। तिहू लोकां तारण तरण, मां मोगल मछराळ।।2 आवे जद अबखी बखत,…

धवल उजवल मरुधरा – कवि मोहनसिंह रतनू

जिण भोम उपजे भीम सा भट, थपट भूमंड थरथडै। धड शीश पडियो लडे कमधज, झुण्ड रिपुदल कर झडे।। जुध काज मंगल गिणत जोधा, वीरवर विसवासरा। प्रचंड भारत दैश प्रबल, धवल…