Fri. Nov 22nd, 2024

Author: गिरधरदान रतनू दासोड़ी

रल़ियाणो राजस्थान जठै – गिरधरदान रतनू दासोड़ी

राजस्थान दिवस री बधाई …. रंग बिरंगी धरा सुरंगी, जंगी है नर-नार जठै। सदियां सूं न्यारो निरवाल़ो, रल़ियाणो राजस्थान जठै। रण-हाट मंडी हर आंगणियै, कण-कण में जौहर रचिया है। ताती…

गीत करनीजी नै अरज रो – गिरधरदान रतनू दासोड़ी

संभल़जै सत सिमरियां साद निज सेवगां, लेस मत हमरकै जेज लाजै। विपत्ति मिटावण वसुधा-कुटंब री, उडंती लोवड़ी भीर आजै।।1 खलक री रखै तूं पलक री खबर नै, मुलक में पसरगी…

हे डोकरड़ी! माफ करीजै!

हे डोकरड़ी! माफ करीजै! हे मायड़भासा! सुंदर सरूपी तरूणी बाल़ा लड़ाझूम गैणां सूं सजधज सहनशीलता भाव गहनता शील सुशोभित बडपण धार्यां गात वडाल़ै भुजा-आजानु घण पूतां री सुण-सुण वीरत धारी…

प्राक्कथन-इतिहास एवं काव्य का मणिकांचन सुमेल: बीसहथी मां बिरवड़ी

राजस्थान जितना बहुरंगी है उतना ही विविधवर्णी यहां का काव्य है। जब हम यहां के पारम्परिक काव्य का अनुशीलन करते हैं तो शक्ति भक्ति से अनुप्राणित काव्यधारा हमारे सामने आती…