Thu. Nov 21st, 2024

Author: गिरधरदान रतनू दासोड़ी

वीरां माऊ वंदना

सिरुवै जैसल़मेर रा रतनू हरपाल़जी समरथदानजी रा आपरी बखत रा स्वाभिमानी अर साहसी पुरस हा। इणां री शादी रतनुवां रा बही-राव, रावजी पूनमदान नरसिंहदानजी बिराई रै मुजब गांम सींथल़ रा…

बजरंग रंग बाईसी ~ गणेशदानजी रतनू दासोड़ी

आज पुरानी पत्रिकाओं के पन्ने पलटते हुए बिड़ला एज्युकेशन ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित प्रसिद्ध व प्रतिष्ठित पत्रिका ‘मरूभारती’ 1990के अंक में मेरा एक शोध लेख छपा था-‘डिंगल़ काव्य में महावीर हनुमान…

आवड़ाष्टक

।।दूहा।। विमल़ बिछायत बेकल़ू, थल़ पर थांनग थाप। मनरँगथल़ माजी मुदै, इल़ इण राजो आप।। चाल़़क मार्यो चंडका, किया खंडका काट। मनरँगथल नू मंडका, दैत दंडका दाट।। चाल़कनेची तो चवां,…

प्रभू पच्चीसी

।।दूहा।। सरसत दे मुझ अखर सुद्ध, सूंडाळा कर साय। प्रभू पच्चीसी प्रेम सूं, गुण सबदी में गाय।।१ ऊभराणो ही ईशवर, आवै करतां याद। निमख देर लागै नहीं, सुणत भगत री…

मरणो एकण बार

राजस्थान रै मध्यकालीन वीर मिनखां अर मनस्विनी महिलावां री बातां सुणां तो मन मोद, श्रद्धा अर संवेदनावां सूं सराबोर हुयां बिनां नीं रैय सकै। ऐड़ी ई एक कथा है कोडमदे…

मही मदती मावड़ी

।।दूहा।। सुणजै नितप्रत समरियां, आयल ऐह अरज्ज। पूरै तूं परमेसरी, घट री मूझ गरज्ज।।१ विसतरियो धर पर विघन, रसा करोना रोग। हेलो सुण ओ हेतवां, जांमण काट कुजोग।।२ ।।छंद-सारसी।। धिन…

सुणजै सुरराय अमीणी साहल़

गीत – जांगड़ो सुणजै सुरराय अमीणी साहल़, दया धार दिल देवी। आयो कोप आपरां ऊपर, कोरोना सो केवी।।१ चीन चूंथ इटली पण चूंथी, अबखी में अमरीका। आयो कटक हिंद रै…

जोगमाया रो जस – गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

।।दूहा।। दे भगती सुखदायनी, उगती कंठां आय। है सगती हिंगल़ाज तूं, बीसहथी वरदाय।।१ मरण जलम तूं मेटणी, करण सकल़ रा काज। पड़्यां चरण परमेसरी, हरण दोख हिंगल़ाज।।२ सह बातां समराथरी,…

पछै म्हारो बेटो होवण री ओल़ख क्यूं नीं दी!!

ढांढणियै रा लाल़स रामचंद्रजी उन्नीसवें सईकै रा नामचीन कवि। उणांरी घणी रचनावां चावी। जोगी जरणानाथजी रा छंद बेजोड़- जोगी जग जरणा करुणा करणा, इल़ नहीं मरणा अवतरणा!! इणां री काव्य…

रांगड़ रँग रै तो रघुवीर!!

गीत वेलियो किण सू हुई नह हुवै ना किणसूं, हिवविध राम तिहारी होड! कीधा काम अनोखा कितरा, छिति पर गरब उरां सूं छोड!!1 बाल़पणै दाणव दल़ वन में, रखिया कुशल़…