Thu. Nov 21st, 2024

Author: डॉ. रेवंतदान बारहठ

नज़्मों का नासेटू – डॉ. रेवंतदान बारहठ

नज़्मों की नासेट में निकला हुआ शायरजब मांधारा होने के बादअपने आसरे को लौटता हैतो उखणकर लाता हैअनोखे अनोखे आखर ख़ूजों में भरकर लाता हैख़्यालों की खूम्भीयाँसबदों की रिनरोहि मेंरबकते…

सृष्टा – दृष्टा ~ डॉ. रेवंतदान बारहठ

देख रहा है सृष्टा को दृष्टा दूर अनंत अंतरिक्ष में उसे दिखाई दे रही है प्रकाश वर्ष को द्रुत गति से लांघती लपलपाती हुई एक अगन लौ भाप बनकर उड़ते…

दीपै वारां देस, ज्यारां साहित जगमगै (एक) – डॉ. रेवंत दान बारहठ

काव्य चेतना के उच्चतम सोपान का साहसी नासेटू-तेजस मुंगेरिया एक रचनाकार अपने समय का गौरव होता है। यह बात उन लेखकों और कवियों पर अक्षरशः लागू होती है जो अपने…

काल कवि – डॉ. रेवंत दान बारहठ

काल कवि समय के महासमर में मैंने शाश्वत शब्दघोष किया है शब्द मेरे शस्त्र रहे हैं शब्द शक्तियां आत्मसंयम रही हैं मैं सनातन साक्षी हूं असंख्य सभ्यताओं संस्कृतियों की श्रृंखलाओं…

चारण – डॉ. रेवंत दान बारहठ

सृष्टि रचयिता ने स्वर्ग के लिए जब पहली बार रचे थे पांच देव – देवता, विद्याधर, यक्ष, चारण और गंधर्व तभी इहलोक पर रचा था केवल एक नश्वर मनुष्य मगर…

अनवरत प्रेम को खोजती – डॉ. रेवंत दान बारहठ

डॉ. रेवन्त दान राजस्थान की हिंदी कविता के उदीयमान हस्ताक्षर हैं। उनकी कविताएँ जन जीवन के संघर्ष और आशा-विश्वास की तेवरी रचनाएँ हैं। कवि की प्रेम कविताएँ ‘मिट्टी’ से उगा…