Fri. Jul 18th, 2025

Author: डॉ. गजादान चारण

जद भोर भयंकर भूंडी है

जद भोर भयंकर भूंडी है अर सांझ रो नाम लियां ही डरां। इसड़ै आं सूरज चंदां रो किम छंदां में गुणगान करां।। कळियां पर काळी निजरां है सुमनां री सौरभ…

सरपंची सौरी कोनी है

घर में बड़तां ई घरवाळी, बर-बर आ बात बतावै है। जो दिन भर सागै हांडै है, बै रात्यूँ घात रचावै है। वो बाबै वाळो बालूड़ो, अबकाळै आँटो चालै है। सरपँच…

जद भोर भयंकर भूंडी है

जद भोर भयंकर भूंडी है अर सांझ रो नाम लियां ही डरां। इसड़ै आं सूरज चंदां रो किम छंदां में गुणगान करां।। कळियां पर काळी निजरां है सुमनां री सौरभ…

गज़ल – डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत

चींटियों के चमचमाते पर निकल आए सुनो। महफ़िलों में मेंढ़कों ने गीत फिर गाए सुनो। अहो रूपम् अहो ध्वनि का, दौर परतख देखिए, पंचस्वर को साधने कटु-काग सज आए सुनो।…

मोटी मरजादण मरुभाषा – डॉ गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

सतियां रै सत री गाथावां पतियां रै पत री घण बातां। जतियां रै जंगी जूझारू जीवण री जूनी अखियातां।। संतां री वाणी सीख भरी सूरां रा समर अनै साका। वीरां…

वहशी गर जिंदा होते, हम सब शर्मिंदा होते – डॉ.गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

कानून टूटने का, हमको भी ग़म रहेगा पर जितना रहना था, उससे कुछ कम रहेगा। जाँबाज न जागे होते वहशी सब भागे होते कानून भले बच जाता, हम सभी अभागे…

चिरजा- बिड़द रख बीसहथी वरदाई – डॉ गजादान चारण शक्तिसुत

बिड़द रख बीसहथी वरदाई, सेवग दुख हर लीजे सुरराई। खल को खंडन कर खलखंडनि, मेछां उधम मचाई। संतन के मन गहरो सांसो, पुनि-पुनि-पुनि पछताई।।1।। खल संग निर्मल होय सफल कब,…

एतबार रखिए अवस – डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

एतबार रखिए अवस, इस बिन सब अंधार। रिसते रिश्तों के लिए, अटल यही आधार।। एतबार पे ही टिके, घर-परिवार-संसार। एतबार से ही बहे, रिश्तों की रसधार।। प्रीति परस्पर है वहीं,…

मत करो इस मुल्क से गद्दारियाँ पछताओगे – डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

मत करो इस मुल्क से गद्दारियाँ, पछताओगे देखकर फिर देश की दुश्वारियाँ, पछताओगे वतन से ही बेवफाई फिर वफ़ा है ही कहाँ खो के अपनी कौम की खुद्दारियाँ, पछताओगे इस…