Fri. Jul 18th, 2025

Author: admin

परम् पुज्य आई नागबाई माँ

{{पींगलशीभाइ पी पायक//मातृदर्शन}} पोस्ट टाइप :- सामराभाई पी. गढवी, गाम मोटी खाखर (कच्छ) मोरारदानजी सुरताणीया गाम:- मोरजर (कच्छ) आई नागबाई जुनागढना छेल्ला रा-मांडलिक त्रीजानां समकालीन हतां. रा मांडलिक सं, १४८९…

श्री किरपारामजी खिड़िया री विलक्षण सूझ बूझ – राजेंद्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

विलक्षण बुध्दिलब्धी अर महान मेधा रा धणी किरपारामजी खिड़िया रीति-नीति अर मर्यादा रा मोटा मानवी हा। किरपारामजी रो आदू गांव जूसरी नागौर जिला री मकराणा तहसील कनै आयो थको पण…

कविराज खूमदान लांगीदानजी बारहठ

कवि खूमदान बारहठ अभिनन्नदन पत्र धाट पारकार समाज द्वारा चंपानगर Previous Next नाम खूमदान बारहठ माता पिता का नाम पिता लांगीदानजी बारहठ जन्म व जन्म स्थान पाकिस्तान के चारणवास ग्राम…

भगवती आई श्री वानुमा मोरझर कच्छ

महासती आई वानुमा (मोरञर – कच्छवाणा) ओखी पडे मा आवजो आई थजो आधार।कर जोडी जीवण कहे वानमा करजो वार।। आई जीवांबाई महियाणी संवत १७११ मां सति थया. त्यार पछीना वर्षे…

माँ हिंगलाज का छंद – कवि अज्ञात

॥दोहा॥ आद भवानी ईसरी, मोर भवानी माय। कळा रचै अब कांमणी, रमै गिरंदां राय॥ 1 ॥ ॥छंद: नाराच॥ भमंक अंज काळ भंज सिंघ संज सज्जियै। झमंक झंझ ताळ खंज वीर…

सुहागी गाँव का इतिहास​ (सुहागी बाई)

​गाँव- सुहागी, तहसील- सेड़वा, जिला- बाड़मेर, राजस्थान​  विक्रमी सवंत 1580 में मेंहडू शाखा के चारण भादाजी मेंहडू को गंगाजी सोढा द्वारा सुहागी गाँव भेंट स्वरूप प्राप्त हुआ। सुहागी का तत्कालीन…

भक्त माधुदानजी व इनके भाईश्री भवरदानजी का जीवन परिचय

भगत्त माधुदानजी एक पुरुषार्थी संत, आपका जन्म चतुर्थी चैत्र सुक्ल पक्ष विक्रम संवत 1969 में गाँव प्रेमे की बेरी पाकिस्तान में हुआ। आपने घुअड़ (देवल) गौत्र में पिता श्री सुजोजी…

करंत देवि हिंगळा ~ कविराज बचुभाई (जीवाभाई रोहडिया) गढवी

हिंगळाज माताजी री स्तुति। कविराज बचुभाई (जीवा भाई रोहडिया) गढवी जो गुजरात रा एक प्रसिध्ध वारताकार (बातपोश) हा। दोहा चाहत जिणने वृंद सुर,चारण सिध्ध मुनीन्द्र। ढूंढत है नित ध्यान मंह,करण…

कविवर जाडा मेहडू (जड्डा चारण)

कविवर जाडा मेहडू (जड्डा चारण) कविवर जाडा मेहडू चारणों के मेहडू शाखा के राज्यमान्य कवि थे। उनका वास्तविक नाम आसकरण था। राजस्थान के कतिपय साहित्यकारों ने अपने ग्रंथों में उनका…

भेरदानजी मीसण ओगाला

पेर कटारी पोढयौ, दे प्रचणा सर पाँव। रण धपावेह रगत सौ, रंग हो मीसण राव।। भेरदानजी मीसण ओगाला ने भोयात्रे गढ़ पर कटारी पेर ने भूपालसिंह चौहाण का राज्य और…