होली का गीत
देखों-देखों होली आई रें, खुशियां रंगा में छाई रे।
हाँ रे होली आई रें, खूब धुम – धाम मचाई रे।।
देखों – देखों……………………….. ।
ठण्डी – ठण्डी पवन रें साथे रंग – गुलाल उडावे हैं।
रंग – भंग सी हुडदंग मचगी टाबर खूब चिलावें हैं।।
अब तों इन्द्रधनुष आंख्या में उडतों आगे आई रें।
देखों – देखों……………………… ।
रंग – भंग सी हुडदंग मचगी टाबर खूब चिलावें हैं।।
अब तों इन्द्रधनुष आंख्या में उडतों आगे आई रें।
देखों – देखों……………………… ।
अब तो आकाश भी रंग-बिरांगों ओं नाच दिखावे हैं।
बारिश कें गर्जन की मिथ्या मन ही मन बतावें हैं।।
बच्चें सारे पानी-पानी ढूंढ रहे फिरभी बादल जाई रें।
देखों – देखों………………………..।
बारिश कें गर्जन की मिथ्या मन ही मन बतावें हैं।।
बच्चें सारे पानी-पानी ढूंढ रहे फिरभी बादल जाई रें।
देखों – देखों………………………..।
तन – मन में होली री खुश्बू अब खुब सजावें हैं ।
रंगे पानी पिचकारियां भर बच्चे खुब छिटावें हैं।
जैसे होली रिश्तो सी सबके तसरीफ लाई रें।
देखों – देखो……………………….. ।
रंगे पानी पिचकारियां भर बच्चे खुब छिटावें हैं।
जैसे होली रिश्तो सी सबके तसरीफ लाई रें।
देखों – देखो……………………….. ।
समझ नहीं मैं समझ न आता मस्ती बन छाई हैं।
गुस्से वाले चेहरे अब रंगों सें हंसी पहाड बनाई हैं।
कैसी होली जहां भी देखों कहते वा रे होली आई रे।
देखों – देखो………………………।
गुस्से वाले चेहरे अब रंगों सें हंसी पहाड बनाई हैं।
कैसी होली जहां भी देखों कहते वा रे होली आई रे।
देखों – देखो………………………।
बसंत बैचारा मन में जलन करें, आगमनकारी रें।
फाल्गुन की तो नया होली सु अपरंकारी रें।।
रणदेव में होली री खुशियां रंगा में ही छाई रें।
देखो देखों……………………….. ।
फाल्गुन की तो नया होली सु अपरंकारी रें।।
रणदेव में होली री खुशियां रंगा में ही छाई रें।
देखो देखों……………………….. ।
देखों-देखों होली आई रें, खुशियां रंगा में छाई रे।
हाँ रे होली आई रें, खूब धुम – धाम मचाई रे।।
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हाँ रे होली आई रें, खूब धुम – धाम मचाई रे।।
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रणजीत सिंह रणदेव चारण
गांव – मुण्डकोशियाॅ, राजसमंद
मोबाइल न. – 7300174927