अमर सहीद”
अरे कद भूले हो लाडेसर
जुग-जुग सूं नेम घराणै रो |
भारत माता रे मिंदर में
जीवण री भेंट चढाणै रो ||
मेङी में बैठी माँ सुत नैं
पालणियें नींद सुलाती ही |
पीढ्यां रै गौरव री गाथा
मधरै कंठा सूं गाती ही |
मातृभौम हित मरण वंस रो
मूंघो रै मोल बताती ही |
रण मांही रगत नहावण री
पोथी मुख बांच सुणाती ही ||
केसरिया बागौ सींवै ही
माँ बेटे रै परवाणै रो |
भारत माता रै मिंदर में
जीवण री भेंट चढाणै रो ||
दुसमीङा देख मुलक माथे
पढणै लिखणै री बेळ्यां में |
रग -रग में जाणै झाळ उठी
झैली बन्दूक हथेळ्यां में |
कांकङ री सीवां रै माथै
छायौ विकराळ भतूळौ सो |
काळी ज्यूं काळ बण्यो पल में
गिटग्यो बैर्यां रो ढूळौ सो ||
पग -पग धरतां मन मुळकै हो
नैणां में जोस जमानै रो |
भारत माता रै मिंदर में
जीवण री भेंट चढाणै रो ||
हो धण रो कंत, बै’न रो बीरौ
माँ रो राजकंवर हूतौ |
बो भारत माँ नैं सीस चढा
नै’चे री नींदङली सूतौ |
घाट्यां आज गवाही देवै
माथै घमक बजावण री |
बैर्यां री छाती दे गोडी
हौडाहौडी झटकावण री ||
जातोङौ साथी नैं कैग्यो
ले झंडौ नहीं झुकाणै रो |
भारत माता रै मिंदर में
जीवण री भेंट चढाणै रो ||
माता रै मनङै ममता री
मुरझाई साखां चमक उठी |
हिवङै रै समंद हिलौरा ले
सूतौङी लै’रां घमक उठी |
भोभर सूं भरिये काळजियै
ओट्यौङी ओळ्यूं धधक उठी |
नैणां में नीर उफण आयो
छाती भर गदगद हरख उठी ||
मावै नीं इधको मोद मनां
समरांगण सार सुणाणै रो |
भारत माता रै मिंदर में
जीवण री भेंट चढाणै रो ||
म्हूं मर्यो नहीं माँ सूतौ हूं
बस थोङा दिन सुसतावण नैं |
घट सूं घावां रो घायलपण
थाकेलौ दूर भगावण नैं |
म्हूं पाछो आस्यूं बेगौई
थारोङौ करज चुकावण नैं |
ओळ्यूं रै आगळ राखिजै
आंगणियैं गोद खिलावण नैं ||
काठी ककर छाती माँ सुत रै
मारगियो जोई आणै रो |
भारत माता रै मिंदर में
जीवण री भेंट चढाणै रो ||
प्रहलादसिंह ‘झोरङा’