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“चारण कवि”

हाँ आज बदळती दुनियां में 
विज्ञानी सूरज ऊग गियो 
तारां ज्यूं उङतौ आसमान 
ओ मिनख चाँद पर पूग गियो 
नूंवी तकनीक मशीनां सूं 
पल पल री खबरां जाण सकां 
सुख दुःख री बातां सचवादी 
अखबारां छाप बखाण सकां 
अजकालै पूरी आजादी 
है साच झूठ नैं जांचण री 
कम्प्यूटर टीवी रेडियो सूं 
जग में दरशावण बाँचण री 
अब तो आं खबर नवीसां रै 
कानूनी औदो हाथां में 
अै बोल सकै अर तौल सके 
जनता री हालत बाथां में 
पण याद करो बै दिनङा जद 
रजवाङी डंको बाजै हो 
घोङां री टापां रै सागै 
अम्बर गरणाटै गाजै हो 
जद सामन्ती हूंकारां सूं 
धरती थर थर थर्राती ही 
उण बैळ्यां अैके बाणी सूं 
चारुं दिश जै जै गाती ही 
राजा रै साम्ही आँख उठा 
जोवण री हिम्मत नीं हूती 
मुंह खोल्यां मोटी बात बणै 
रोवण री हिम्मत नीं हूती 
उण बखत धरम रो रखवाळौ 
जन जन री पीङा लख लैतो 
बो चारण ही सब खरी खरी 
मुख भरी सभा में कह देतौ 
जद जद सामन्ती ठाट-बाट में 
राजा राह भटक जातौ 
इतिहास गवाह है उण बेळ्यां 
कविराजा मारग दिखलातौ 
बज्जर सूं तेज बदन जिणरो 
सिंहां री झपटां भिड़ जातौ 
बो वीर भवानी रो जायो 
भैरव ‘जुग चारण’कहलातौ ||

~~प्रहलादसिंह झोरङा

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