।।दूहा।।
माडधरा में माड़वो, पहुमी बडी पवीत।
सदन भलै रै शंकरी, अवतारी अघजीत।।1
देवल भलियै दीकरी, है बीजी हिंगल़ाज।
प्रगट माड परमेसरी, सगतां री सिरताज।।2
माडधरा में माड़वै, धर खारोड़ै धाट।
देवी कीधा देवला, थिर दुय गामां थाट।।3
आल़स नह लावै अँकै, सब दिन करै सहाय।
दासां री इम देवला, तूं खारोड़ाराय।।4
।।छंद गयामालती।।
माड़वो गामां माड मोटो, अवन सांसण ऊजल़ी।
भलियै तणी थिर देख भगती, निजर हिंगल़ा निरमल़ी।
पह सँढायच कियो पावन, आय जिण घर अवतरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।5
जाल़ियां जूनी रमी जोगण, मगरियां भर मोद म़े।
कर बाप व्हाली रखी कंवरी, गढव निसदिन गोद में।
धर सोढ दादो हुवो धिन-धिन, भाव सूं अंकां भरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।6
सिर खुली चोटी रखी सुंदर, उरां संक न आणियो।
नरलोक री तज रीत निसदिन, जगत बीह न जाणियो।
वरस तेरां कियो विचरण, ओढणै बिन ईसरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।7
बड देथ माहट सुतन बापन, अखैसर पर आवियो।
उण दीह सहियां साथ अंबा, नेह सूं निजरावियो।
लंफ लियो ओढण लाज सूं लख, बगत उण कर बीसरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।8
समचार ऐह जा दिया साथण, भलै रै घर भावसूं।
इक देख मांटी देवला इम, चीर ओढ्यो चावसूं।
भल साथ अखमल भ्रात भेल़ा, तेड़ रीतां तीखरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।9
नारेल़ कींकू किया निजरां, काज शुभ घण कोडसूं।
थड़ थाटसूं घर ब्याव थपियो, हेर सुरपत होडसूं।
घर गीत मंगल़ धमल़ गाया, रीझ छौल़ां रीतरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।10
जुथ साथ बापन जान जोड़ी, सजा हैमर सोहणा।
खुश होय झट मग माड खड़िया, मस्त चालां मोहणा।
सब सोढहर पड़जान सजिया, जोर पीठां जूंगरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।11
सुध समेल़ा करण सज्जन, माण कर मनवारियां।
तण त्याग देथां कियो तीखो, वरस वासव वारियां।
संढायचां मन सरस सारां, करी बातां क्रीत (कीर्त) री।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।12
भल वार में कवि आप भलियै, भाल़ भगती भावसूं।
देवला साथै आठ दूजी, चंवरियां कर चावसूं।
परणाय तनुजा विपर प्रिथमी, ईहग की अघजीतरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।13
अणदीठ गड़सी पीठ उणपुल़, मेहर कर तैं मेटियो।
जद ले भांडूरा चरण जादम, भोम निज री भेटियो।
विखियात परचो कियो बाई, बहै साखा बातरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।14
विपर वाल़ो जिवत बछड़ो, आप कीधो अंबका।
बड काम अणहद किया वरधर, थाप पंगी थंबका।
दट दूठ बो उल़टाय दूढो, धाट वीसै धरतरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।15
पारकर हरभंम पाजी, प्रतख माजी पल़टियो।
भड़ भीम भोमी दिवी भलपण, करां भूपत तैं कियो।
पाय पड़िया जिकां पामी, निपट कुशल़ै नेसरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।16
मेघवाल़ां महै महियल़, जात बेघड़ जाणनैं।
धणियाप कारू दिवी धरती, मात थपियो माणनैं।
जिण धरा अजतक जिकै अन्नजल़, मया करर्या मातरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।17
वहा तूझ तनुजा बूट बैचर, पहुम पावन परवड़ी।
सुण पायकां फट साद सायल़, घमक देवै गड़गड़ी।
निज ओट लोहड़ रखै निजपण, सेवगां सुखदातरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।18
दासोड़ी गिरधरदान देवी, एक थारो आसरो।
हिव सिमरियां इम सुणै हेलो, डोकरी अब दासरो।
तुंही टाल़ संकट ताप तारां, पाल़ पख नित पातरी।
दातार देवल दिपै दुणियर, वसू कीरत विसतरी।
माँ वसू सोरम विसतरी।।19
।।छप्पय।।
देवल दे दातार, दान सुख संपत दैणी।
देवल दे दातार, रीझ पातां पख रैणी।
देवल दे दातार, वाट वाहर री बैणी।
देवल दे दातार, लोहड़़ी ओलै लैणी।
देवला दाता दुनिया दखै, खल़ां ऊपरै खीझणी।
कवियाण गीध कीरत कहै, राज सुणै अब रीझणी।।
गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”