!! गीत !!
गरज सेवगां तणी अब करनला घणी छै,
अरज तद पुणी छै मात आगै !
धजाऴी आपबिन अवर कुण धणी छै,
स्रजीऴी सजो सब सगत सागै !! !!1!!
निबऴ निरूपाय नित जाति में नीपजै,
भांणवां बुध्दि बऴ भिङक भागो !
आसती दिखावो अम्बिका आप अब,
आज तो नासती समो आगो !! !!2!!
नीपुणा मांहि सूं बीरता नीसरी,
बीदगां बीसरी बिज्ञताई !
ऊबरां तौ पगां हेट अब ईसरी,
ओट मुझ बीसरी राख आई !! !!3!!
लाडली जनक जिमि लंकरी लै करी,
रंक री रंकता ऐम र् हासौ !
अंकरी बुरी लिपि भंजदे आवङा,
संकरी सींह चढि व्याधि नासौ !! !!4!!
कठिन कऴिकाऴ ग्रीसम रितू कालही,
आवियो हऴाहऴ समूं ओतो !
त्रषितसब जगतहुय झऴहऴै तऴातऴ,
सुजऴ सुख सांतीरो बहा सोतो !! !!5!!
भाऴबा पुरातन भरत खंड भवानी,
सत्रुवां साऴबा सुध्द सेवी !
लांगङा भ्राता संग ल्याव दुख टाऴबा,
दुथियां पाऴबा आव देवी !! !!6!!
स्वामीनी सुखी कर सकल तव सेवगां,
त्रभंगो ग्रहो कर प्रबऴ त्राता !
बीनती इती छै बाऴ तोरा बिकऴ री,
मेट कऴि काऴ रो दोर माता !! !!7!!
अन्यत्तम रचना, अजब गजब गीत भगवती भवानी रो पर साधक रचनाकार अज्ञात है, अनाम अज्ञात सृजनधर्मी कवि ने धन्य है कवि ने कोटि कोटि साधुवाद धन्यवाद व अति आभार है सागर को गागर में समेट दिया है ह्रदय के भावों की सरिता बहा दी है ऐक ऐसा स्तुत्य वरैण्य गीत जिसको पढकर सुनकर अथवा स्तुतिकर पाठक भाव विभोर हो उठे और माता का शक्ति सनातन भी साकार होकर पुत्रकी पुकार पर साक्षात कृपा प्रसाद प्रदान करे !!
~राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर !!