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।।गीत -प्रहास साणोर।।
नमो करनला निहाल़ै निजर नित नेहरी
बगत मा ऐहरी राख बातां।
शरम तो भुजां मुझ गेहरी शंकरी
आण मत मेहरी देर आतां।।1

सेवगां आपरां काज अग सारिया
तारिया बूडतां समंद ताणै।
जोरबल़ राकसां किता दल़ जारिया
जगत में धारिया रूप जाणै।।2

विघन कल़िकाल़ रो मेटती बीसहथ
भेंटती सुपातां रिजक भारी।
फेटती वरण रा अरि कर फिड़कला
थेटती रही आ बाण थारी।।3

सुछत्री थापिया पाणबल़ सांपरत
राज वड आपिया जिकां रीझी।
जयंकर सुजस तो जापिया जोगणी
खुटल़ नर सापिया तिकां खीझी।।4

पातवां पुकारै सनातन पाल़ती
ताप दुख टाल़ती वेग तारां।
भाल़ती सताबी आय कर भीर नैं
गाल़ती रूठ नैं विघनगारां।।5

धिनोधिन विमल़ तन लोहड़ी धारणी
चारणी धरै सो करै चातां।
थाट कर सेवगां काल़जो ठारणी
हाकड़ो जारणी समंद हाथां।।6

झमंककर झांझरां पगां झणकारती
नेहियां धारती मनां नातो।
खमा निज पाणवां खाग खणकारती
तांण तणकारती सिंघ तातो।।7

धावियां चढै तूं जंगल़धर धिराणी
लालधज समंगल़ भीर लैणी।
मोचणी अमंगल़ जाहरां महिपर
दंगल़ में जैत नैं जीत दैणी।।8

उबारै अणंद नैं कूप बिच ईसरी
ताल़ जद तीसरी पूग ताती।
नीच वो काल़ियो विडारण नीसरी
खरै मन रीसरी जाय खाती।।9

पातवां कुबुद्धि परहरै प्रीतकर
जीतकर कल़ू में वल़ू जामी।
रीत मरजाद री द्रिढ नित राहपर
नीत पथ बहै निज बाल़ नामी।।10

दूरकर नसै सूं जात नैं डोकरी
सूरकर साचपण जगत साखी।
पूरकर भणाई आपसी प्रेमकर
राज ओ हूर कर महर राखी।।11

कल़ै नीं कुरीतां आपरी कोम आ
सदा रह अल़ै सूं परै सारी।
सल़ै रह सल़ूझी अवर सथ समाजां
भल़ै तो चरण में भाव भारी।।12

सुतन नैं बेटियां मानणा समोवड़
रतन कर जिणां नैं पाल़ राखै।
जतन कर गुमर सूं लहै निज जीवारी
उतन प्रत श्रद्धा रा कवत आखै।।13

चारणाचार री वाट बह चावसूं
सार री गहै नित बात सारा।
जुगत कर कार री जपै जस जोगणी
थाप इण वार री दास थारा।।14

पाय पड़ पुकारूं तनै परमेसरी
सायकर सायकर सदा सेवी।
जीयाहर गीधियो गाय गुण जामणी
दायकर मनै तूं गीत देवी।।15

~गिरधर दान रतनू  दासोडी

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