दीपर्यो सुख-धाम में, ओ राम रो पैगाम दिवलो।
नेह रो दरियाव दिवलो, गेह नै उपहार दे।
श्याम-बदना रात रै, झट गात नै सिंणगार दे।
तन बाल़ जोबन गाल़ नै, उपकार रै पथ प्रीत सूं।
ओ जीत रो जयकार दिवलो, तिमिर नै ललकार दे।।
अन्याय रो अरियाण है ओ, न्याय रो सतनाम दिवलो।
सोभर्यो अनीत पर ओ, नीत रो अठजाम दिवलो।
भारती रै वैरियां रै, काल़ रो संदेश बणनै।
दीपर्यो सुखधाम में, ओ राम रो पैगाम दिवलो।।
अज्ञान उर पर ज्ञान री, ओ देखले पतवार दिवलो।
पतहीण पर सतधार री, मन खार है संसार दिवलो।
सतशील री संभाल़ में, पति-प्रेम री आ रात-दिन,
है नार रै स्वाभिमान री, ओ जगत में हुंकार दिवलो।।
सतवादियां री सूरता रो, धीरता री लीक दिवलो।
वन विचरतै उण तपसव्यां रै, त्याग में सारीख दिवलो।
समराट रै मगरूर नै रण-भोम में तण चूरियो।
वां वनवासियां री तीख रो, ओ ओपर्यो निरभीक दिवलो।।
स्त्री रै माण सारू बाण री सणणाक दिवलो।
शरण में आय जाय जिणरी, हरण दुख री धाक दिवलो।
सीत रा फंद काटवां, दसकंध रा कंध भंजिया।
प्रणपाल़ रै उण कदम री, भू ऊपरै है साख दिवलो।।
कुल़वाट नै उजवाल़तो, हर सदन रो उजियास दिवलो।
रंग-राग रै अनुराग में, सौभाग रो प्रकाश दिवलो।
टिमटिमातो दूर सूं पड़ जाय, निजरां नाम रो।
बण जाय ओ पथ भूलियां रो, पलक में विश्वास दिवलो।।
सहूकार रै घर-बार रो, ओ दीखतो है थाट दिवलो।
चोरटां अर जारड़ां नै देवतो उच्चाट दिवलो।
तल़ आपरै अंधियार रखनै, प्यार सूं प्रकाशतो नित,
असत नै उघाड़तो यूं, देखलै सतवाट दिवलो।।
दीयाल़ी री आप सगल़ै सैणां नै अंतस सूं शुभकामनावां।
शुभेच्छु
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”