छप्पय
सब सेणां रै साथ, प्रात उठ दरसण पाऊं।
मात चरण में माथ, नेम सूं नित्त नमाऊं।
सुरसत देवै सुमत, कुमत मेटै किनियाणी।
जुगती सबदां जोड़, उरां उकती उपजाणी।
जगदम्ब कृपा रै जबर बल, पंगु पहाड़ां पूगियो।
कर जोड़ नमन गजराज कर, आज भाण भल ऊगियो।
जय जय जय जगदम्ब, अम्ब कह आँख उघाड़ो।
आई तू अवलम्ब, बीसहथ रोक बिगाड़ो।
उर में हद उत्साह, चाह चित आवै चोखी।
रखै सगत सत राह, दूर कर दाळद दोखी।
लख सदा कराग्रेह लक्ष्मी, सांप्रत इण कर सुरसती।
गरज्जां सकळ सारै ‘गजा’, भव भव माता भगवती।।
~डॉ गजादान चारण ‘शक्तिसुत’