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दुला भाया काग जयंती पर उनके संस्मरण

 

आजे काव्य ऋषि स्व. श्री दुलाभाई भाया भाई काग नी 116 मीं जन्मजयन्ति परे मने एवा युग पुरुष भगत बापू ना नाम थी जे विख्यात देव चारण हता, एनी साथे पहलली मुलाकात याद आवी । हुं 1971 ना भारत पाक युद्ध विराम पछी 21 जनवरी 1972 ने दिवसे पाकिस्तान थी सोहागी गाँम पहुंची गयो हतो…मारा सगा मासी ना दीकरा भाई पीरदान सुपुत्र चंदाजी मेहड़ू ने घरे अमारो परिवार 10 डिसेम्बर 1971 पण मारा थी पहला राठी ने मूकी आवी गयो हतो ।
समय अने सीयाला नी भयंकर सर्दी बने प्रतिकूल हता छतां.. हिम्मत राखी जेमतेम अडजस्ट थया । हुं ज्यारे सिन्ध थी रवानो थयो ते वखते प्रतिज्ञा लिधेल के जो कुशलक्षेम थी भारत पहुंची ज्ईश तो माँ सोनल पहले तारा दर्शने आवीस अने पछी बीजा काम करीश.. रस्ता मा पण पल पल आई सोनल सोनल करतां करतां भडेली अमरकोट थी नीकलेलो अने छाछरो पहुंची गयो…एक रात छाछरो मां इन्डियन मिलेट्री ना केंम्प मा विश्राम करयो बीजे दिवसे कर्नल भंडारी जे सी.ओ. (commanding officer) हता एणे मैजर राजेन्द्रसिंह अने कैप्टन खड़गसिंह ने जीप ल्ई मने ज्यां मैं कहयुं त्यां सोहागी गाम बाखासर पासे पहुचाड़ो तो त्यां सोहागी पहुंचाड़ी दिधो ।
हुं अने मारा बनेवी राणीदान बारहट भीमावेरी वाला बने बे दिवस पछी माड़ी सोनल ना दर्शनों माटे कणेरी जवा प्रस्थान करयो … वीरमगाम थी सौराष्ट्र एक्सप्रेस द्वारा जूनागढ़ उतरी ने वाया केशोद कणेरी आई माँ नी वाड़िये माड़ी ना पावन चरणों मा प्रफुल्लित हृदय शीष नमावी आशीर्वाद लिधा अने चार दिवस रोकाई सोनल माँ नी दिव्य शक्ति नो चम्तकार जोयुं… जे मारी जीभ थी वर्णन नो करी सकुं
आ मनोकामना पूर्ण थया पछी भगत बापू श्री काग ने नजरे जोवा नो निर्णय ल्ई बने जणा भावनगर आवया। काग बापू ते वख्ते भावनगर बोर्डिंग मा रहता हता ने
जींथड़ी होस्पिटल पोतानो इलाज चालतुं हतुं ।
जयन्तीभाई नाम ना बृह्मण सेवा मा रहता अने अवार नवार बापु ने सारवार माटे त्यां ल्ई जता । अमो मलवा नो समय नकी करी बोर्डिंग मा रोकाणां ने सांजे पोते बोलाव्या…पारकर ना गढवी होवा नो सांभली काग बापु खूब राजी थया, विद्ध विद्ध समाचार पूछया। उपर चोटलो, डाढ़ी मा गाँठ साक्षात ऋषि जेवी अबधूत आकृति जोई ने अमो मुग्द थ्ई गया काग बापू पूछयुं…” तमारा पारकर मां साँगरी ने केर नो साग बहु मींठुं थाय”…. अमो सांभली खूड हस्या ने काग बापू ना पारकर ना प्रेम नो भाव जोई अति हर्ष थयुं । पोते कागवाणी पुस्तको भेंट आपी ने विदाई लिधी। पछी नागरिकता माटे गुजरात ना वडा प्रधान घनश्याम भाई ओझा ने गवर्नर श्रीमन्नारायण ने भलामण करवा माटे विनंती पण करी …अने 1976 सुधि पण घणी वार दर्शन लाभ लिधुं । हवे आजे एनी जन्मजयन्ति ना अवसरे मारा काव्य ऋषि काग ने निम्नरुपे श्रद्धा सुमन अर्पित छे….
” काव्य कल्ला काग ऋषि “

वो, कवि” दुला काग” था।
वो, सर्व चारण सौभाग्य था।
वो, राग का, अनुराग था।
वो, पुष्प लेखन बाग था।
वो, रच्च गया, इतिहास आ कर।
वो, भर गया, घाघर में सागर।।
वो, सच्च गया, वो, रस या।
वो, मोती चुगता हँस गया।।
वो, कागवाणी, सरल वाणी।
मधुर वाणी, देव वाणी।
क्उ..है…जो… भन्नंत।
ता हृदय, चिरकाल तामस,
ना… कच्छु ..निंदा… रहंन्त।।
वो दे गया, हिन्द मात् में,
जाति चारण को जब्बर।
”बाग बावन फूलड़ा”,
अखूट काव्य, ज्योति अमर।।
काग तेरी, काव्य कल्ला,
भला ! कलम क्या लिख पायेगी।
स्याही भले समुंद्र बने,
लिखती ही रह जायेगी।।
सरस्वत को भी, दुला तेरी,
सदियां ही लग जायेगी।।
तेरे बिखरे पुष्प, निखरे काव्य,
सुगंध हर पल भायेगी।
सूर धरती सौराष्ट्र्पण की,
याद ” आशू ” आयेगी।।
तरछोड़ हमको तू चला,
यह देवचारण दुर्भाग्य था।
“काव्य ऋषि काग दुला”,
तू लोक कवि सरताज था।।
तू..सर्व…चारण…सौभाग्य.. था।
तू… कवि… दुला… काग… था..
तू….. कवि…

~~आशूदान मेहड़ू जयपुर राजस्थान 

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