सोढा संग्राम सा रो जस शतक
वीरेंद्र लखावत कृत
सदगुण रो साखी सबल,राखी रीत तमाम।
वद वद भाखी विद्वता,सोढा तूं संग्राम।।1।।
संग्रामो सचियाय नै,ध्याय धुकावै धूण।
पाय रह्यो परमार्थ इम,दाय करे जन दूण।।2।।
रँग सोढा संग्राम रँग,जंग जुड़ीं धर जाण।
ढंग तिहारा ढाळिया,संग धरती सोढाण।।3।।
पुरसारथ रा पारखी,खोजे गुण री खाण।
सोढो हीरा सोज ले,पारख ऊंडी पाण।।4।।
समालोचना रै सगै,सिरजण सिरै कमाल।
ओ सोढो संग्रामसी,धाकड़ मचा धमाल।।5।।
सोढा थ्हारै सारखी,करै न कोई कूंत ।
धुका ध्यान री धूणियाँ,साधै झीणो सूत।।6।
सत रै पत संग्राम चढ़,बढ चढ कियो बखाण।
सतियां री सौरम जठै,सिरै गिणो सोढाण।।7।
परख पुरस दी पोटली,पिछम धरा परमाण।
सोढा रंग संग्राम नै,रंग धरती सोढाण।।8।।
सोढा ओळ्याँ आखती,लाती हिय ललकार।
वार वार वंदन करूं,धार वही दमदार।।9।।
कर विसलेसण कोड सूं,सजग मिले संग्राम।
अजब इहां री साधना,नमन करां इण नाम।10।।
सोढौ सिरजण में सकड़,पकड़ तर्क री पाळ।
गुरड़ ग्यान री घरट में,मुरड़ पोय दै माळ।।11।।
साम धरम रौ सारथी,झलका सबदी जाम।
नाम नारायण नित करै,सोढो ओ संग्राम।12।।
सोढा थारै ज सरिसा,मिले न दूजा मीत।
साहित्य री ऊंडी समझ,प्रखर पाळतां प्रीत।।13।।
सिरजण राखौ सारथक,आ सोढा री सीख।
ताकौ पर हित तोलणा,दाखो दिल कर ठीक।।14।।
रज रूंखां में रळकती,धर लागै जिम धाम।
सिरै सृजन तव समझ लै,सोढा ओ संग्राम।।15।।
साहित री सतरंज रो,वाजै सोढ वजीर।
मात शह दै मलफतौ,मेल सुरक्षित मीर।।16।।
आप जिस्या अनुभव गुणी,भल संग व्है भूदेव।
नित नित सिरजण सोढ नै,साहस मिले सदैव।17।।
समालोचणा सोहणी,सोढा जिस्यी न और।
लाडां कोडां लडावै,हाजर हुय अठ पोर।।18।।
साच कथी सचियाय रो,सोढो सक्कड़ गल्ल।
आसव कूंची कळह री,मद पीतां व्है मल्ल।19।।
सोढो काव्य सुहावणा,पुरसै नित परभात।
उर से उपजै ईश री,आराधन इज आत।।20।।
जलम दिवस री झेल लौ,कलम पुहप उपहार।
हुवो हजारी वरस रा,सोढा सा सिरदार।।21।।
सोढो ओ संग्रामड़ौ,भल भल कर कर काम।
अवल अदीतै अरक दे,सबल सुधारे नाम।।22।।
सोढो ओ सचियाय रौ,सकड़ कवि संग्राम।
पकड़ पारखी पंक्तियां,अरु भेजे अविराम।।23।।
सोढो रचियो सांतरो,घण दूहो गुड्डार्थ।
पण खळकायी पारखी,पुख्ता ओळी पार्थ।।24।।
सोढो भाखै सहज में,चेक जेक री चाल।
पेक होय नै पूछ मत,देख गल़ै नीं दाल़।।25।।
तन मन बरकत तोलणो, सोढौ ओ सिरदार।
अंतस रा उद्गार है, हियै उतारो धार।।26।।
शुभ दीवाळी री समझ,सोढा री आपणास।
डोढा दहां जवारङा,कर कर याद कदास।।27।।
सोढो सिरजण नै गिणै,सिरै कर्म सिरदार।
शर्म राखियां नीं सरै,परम ग्यान व्है पार।।28।।
सोढौ सबली कलम सूं,डोडो दियौ डगेश।
पोढौ बदरी बरस नै,इंदर रौ आदेश।।29।।
गल्ल कियां हब बल हुवै,पल पल व्है पुलकित्त।
सोढौ भाखै सांभळौ,मून छोङ दो मित्त।।30।।
सोढा थारै स्नेह रा,भव्य रचण रा भाव।
नव्य तर्क रा तुरप नै,श्रव्य परख सदभाव।।31।।
सोढो गुण रौ गाड है,जणौ जणौ जस गाय।
सिरजण कर लै सांतरौ,विध विध विधा वताय।32।।
सोढो देवै सारथक,सीख मुक्त छंद सेत।
हेत हियै हरखावतो,फागणिया रो फेत।।33।।
सोढे कथिया सार रा,आखर इसडा़ चार।
जाणौ तौ जुत जावजौ,नीर बचै नर नार।।34।।
सोढो घड़ियो सांतरौ,दूहो औ दमदार।
आज जगत में अलळुज्यो,विटळ तो व्यवहार।।35।।
रंग सोढा तव रचन नै,रंग रख निष्ठा नेह।
सोढायण री सांतरी,कलम प्रमाणौ केह।।36।।
सोढौ औ सचियाय रौ,डोढा करै कोमेंट।
गोडा ढाळ गुमेज रा,पोढावै पैसेंट।।37।।
सोढे री सकड़ कलम,मायड़ भासा मांय।
धड़ धड़ धड़कै काळजौ,अड़वड़ती कड़काय।।38।।
सोढा थारै स्नेह नै, कूंतां किण विध मीत।
नपे नेह रा फीत सूं, कुरम कायदा क्रीत।।39।।
सोढो औ सुधी सज्जन,सिरजण रौ सरदार।
सोढ धरा री शान सूं,मन मोहै मनधार ।।40।।
सेवा रै सनमान री,सीख दवै संग्राम ।
आन बान अभिमान थूं,नेही रै कर नाम।।41।।
सदा सरस भावां सहित,हरस जपै हरि नाम।
दरस दिव्यता री दपै,सुजस गवै संग्राम।।42।।
गुण सागर सोढो गजब,ताकर बावै तीर ।
भाखर जिम भारीखमौ,आखर घणा अभीर।।43।।
सुधी जनां में सिरै है,सज्जन अौ संग्राम।
सिरजण संग सराय सदा,नामी जग में नाम।।44।।
अगवाणी रहिया अजै,ताणण शब्दी तीर।
जाणी सोढौ जगत री,खटजाणी वा खीर।।45।।
सकारात्मक सोच रौ,संगी औ संग्राम।
मनरंगी मोहित करै,जंगी हिय हर नाम।।46।।
मन री मेट मलीनता,तन री ताण तमाम।
अनबन मेटण ईश नै,सिमर कहै संग्राम।।47।।
परमेश्वर पूज्यां पवौ,इधको एक इनाम।
नाहर व्है निर्लिप्त भज,सीख दहै संग्राम।।48।।
रंज र मन मंजण रटै,संजण कर सरजाम।
गंजण दुख भंजण करै,सिमर्यां सुख संग्राम।।49।।
सोढो औ सचियाय रौ,धर सोढाण धपाय।
करा कलेवा क्रीत रा,सरा सरी समझाय।।50।।
कासब सुत री कीरती,अटल भाव अभिराम।
निश्छल हुय निर्मल मनो,सहज करै संग्राम।।51।।
बाखासर बल़वंत रौ,विरजस तणौ वो काम।
धाकड़ जस धरकावियौ,सोढा रंग संग्राम।।52।।
सफल हुवै संग्राम रा,कज स्है कष्ट ज हल्ल।
सिमरै नित शुद्ध भाव सूं,किनियाणी करनल्ल।।53।।
मायड़ री महिमा करै,वेदां तणा वखाण।
सोढा इण संग्राम री,जुगती इधकी जाण।।54।।
औ सोढो संग्राम इम,पूजावै कैई देव।
सीहड़ हरभू सूरमा,सा री कर कर सेव।।55।।
हरि भजणौ हर रोज रौ,रखणौ रसणा राम।
तपणौ सत रै तालकै,सनणौ गुण संग्राम।।56।।
विद्व विक्रमादित्य रौ,विश्व विख्यात है नाम।
सुजस सांतरौ सिरज्यौ,सोढो औ संग्राम ।।57।।
नारायण परमार रा,कीरत जोगा काम।
गढ सिवाणा रा गजब,सिरकाया संग्राम।।58।।
महिमा मोहन संत री, धिन तरातरौ धाम।
शुद्ध समर्पण भाव सूं,समपै औ संग्राम।।59।।
सुजस सांतरौ सिरजियौ,नमण मराठा नाम।
समपण हिय श्रद्धा सुमन,शिवा शरण संग्राम।।60।।
सोढो औ सचियाय रौ,जंगी दीदो जाम।
जस राणा संग्राम जुद्ध,करियौ कीरत नाम ।।61।।
सोढो सिमरै शंकरी,प्रात उठत परभात।
रात दिवस रहवै रिद्ध,संकट में इज साथ।।62।।
एक एक सूं ओपती,कर कर टीप कमाल।
असरदार संग्राम औ,धाकड़ करै धमाल।।63।।
कीरत चावी कच्छ री,सच्च कथी संग्राम।
सत पथ री सचियापुरा,नत नानाणे नाम।।64।।
आप रिझावौ इंद्र नै,सहज भाव संग्राम।
पुलकित हुय फल जावसी,करसा रा सद काम।।65।।
सत सत वंदन सर करूं,सदकर्मी संग्राम।
रचना धर्मी रदय नै,सहज सरा सब काम।।66।।
सब री लेवी सारणी,सुबह दोपारै शाम।
कलरव तणे किलोल में,सोढ भल संग्राम।।67।।
समवड़ इण संग्राम री,किण विध करसी और।
अपणायत रौ कोट औ,सगळा में सिरमोर।।68।।
भल कारज री भुलावण,सखरी दी संग्राम ।
धार र हिय अपणा बणा,आज खास कै आम।।69।।
किनियाणी करनल्ल रा,तुरपी दुहा तमाम।
समप्या रख हिय में श्रद्धा,सचियापुर संग्राम।।70।।
करणी पच्चीसी कथी,वरणी विशुद्ध विवेक।
शरणी रह संग्राम सा,अविस्मरणीय ऐक।।71।
इदकौ रचणौ आप बिन,इम कद हुयौ है आम।
अंजस जोगी टीप आ,सिरजावै संग्राम।।72।।
कुळ देवी री कीरती,नम काळ्या रै नाम।
दमदारी दूहा बण्या,समभावी संग्राम।।73।।
प्रीत निभावै प्रघळी,साफ नीत संग्राम।
जीत जाय जज्बात सूं,क्रीतवाळा व्है काम।।74।।
शुद्ध सरावण री समझ,बुद्ध मुजब बहुनाम
गद्द हियै औ ग्यान नै,सिरकावै संग्राम।।75।।
औ संग्राम है अजूबौ,हाजर रहै हमेश।
सादर भाव सरावणौ,जिण रौ जस है जेस।।76।।
शीश झुका सचियाय रै,करिया पूरण काम।
आय सिमरलै ओसियां,साच कहे संग्राम।।77।।
जुझारां री झड़ लगी,नामी जस रै नाम।
आ धरती सोढाण इम,सरसाई संग्राम।।78।।
दातारां री दिलवरी,दिल सुध हुय दै दाम।
आ धर सोढां आपवी,समझावै संग्राम।।79।।
जगमग हिय ज्योति जगै,निमत दिवाली नाम।
सब रै घर व्है समृद्धि,समप रह्यौ संग्राम।।80।।
कीरत चावी कच्छ री,नामी कर दी नाम।
सरजामी सोढा सकड़,सत वंदन संग्राम।।81।।
सत रै पथ निज सहज रह,कृत कीरत कर नाम।
इत उत अवस सरायदे,सोढ धरा संग्राम।।82।।
सोढो औ सचियाय रो,सिरै नाम संग्राम।
धरा धाट नै धन्य की,कीरत रा कर नाम।।83।।
कियौ कीर्ति रौ काव्य औ,भव्य सुजस भरमार।
सचियापुर रा सोढ जी,इण रौ कोड अपार।।84।।
कासब सुत किरणां कथी,गती उजाड़े गाम।
अति करण और आयगौ,मथी आ यूं संग्राम।।85।।
नाम रटै संग्राम नित,कंचन करवा काय।
आप चहौ हित आपरौ,शुद्ध हिय रट सचियाय।।86।।
मिज आषाढी बीज में,रीझ रह्या इम आम।
खीझ इंद्र खळकाय दै,सहज कहै संग्राम।।87।।
साथी इण संग्राम री,ख्याति बणगी खास।
हर्षाती व्है टीप हद,उपजाति आ उजास।।88।।
संगी इण संग्राम रा,बहुरंगी जज्बात।
अनुरंगी इतियास रौ,चंगी चाहत भात।।89।।
इण कीरत री आरती,उतरै गिणौ तमाम।
ऐक मेक बण मुलक में,रवौ कहै संग्राम।।90।।
गाम गाम धमचक घणी,आम खास रौ श्याम।
नाम सिमरियां नर तिरै,समझावै संग्राम।।91।
ऐक नाम संग्राम औ,करै ज क्रीत कवेस।
प्रीत रीत रौ पारखी,जीत लियै जग जेस।।92।।
सदा रह्यौ शौकीन औ,साहित सिरजण काम।
पछै सरावै परख नै,शुद्ध युक्ति संग्राम।।93।।
पह प्रभात री पौर रा,नित लै हरि रौ नाम ।
पछै कवि औ परखलै,सखरा गुण संग्राम।।94।।
सदकर्मां नै सेवियां,तद सुख मिलै तमाम।
उद्भव रौ मग ऐक है,समझ कहे संग्राम।।95।।
वंदन अभिनंदन अपै,क्रंदन मेटण काम ।
शुभ वरदायक सिमरलै,अरज करै संग्राम।।96।।
मायड़ भासा री मुळक,इम महकायी आम।
जन जन रै भायी जुबां,समझायी संग्राम।।97।।
सबद सबद में सांवठौ,ठरकौ अर ठहराम।
भळकौ मायड़ भास रौ,सबकौ इक संग्राम।।98।।
दिव्य दरस व्है देश रा,नामी जोधां नाम।
नमन तिहारी कलम नै,सदकर्मी संग्राम।।99।।
सतक बणाय र समपियौ,निश्छल नर रै नाम।
काव्य कला री किलंगी,समझ्यौ म्है संग्राम।।100।।
*********
गांव-रेंदड़ी ,जिला -पाली ,राजस्थान