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कवी उम्मेदरामजी पालावत

एक बार अलवर के राव बख्तावरसिंहजी अपने साथ प्रवीण शिकारी लेकर जंगल में शिकार करने गए ! वहा उन्होंने एक सूअर को गोली मारी, मगर वह घायल होकर भाग गया ! शिकारियों ने सूअर की बहुत तलाश की मगर उसका कोई पता नहीं चला !

अलवर के मालखाने दरवाजे के बाहर एक चमेली का बाग था, जहाँ रसूल – शाही फ़क़ीर का एक तकिया था और वह फ़क़ीर एक करामाती औलीया पुरुष था ! वह घायल सूअर उस फ़क़ीर के तकिये पर चला गया ! सूअर को घायल देखकर फ़क़ीर बहुत नाराज हुआ तथा उसने सूअर को घायल करने वाले राजा के पेट में असहनीय दर्द चालू कर दिया ! राजा को इतना भारी असहय दर्द हो रहा था की यदि उसका शीघ्रता से कोई उपचार नहीं किया गया तो राजा के प्राण निकल जायेंगे ! इसी दौरान गुप्तचरों ने राजा को बताया की सूअर तो रसूल शाही फ़क़ीर के तकिये पर गया हे ! और उसको घायल देखकर वह बहुत नाराज हुआ तथा आपके पेट में ये दर्द कर दिया हे !

तभी राजा ने कहलवाया की इसमें मेरा कोई कसूर नहीं हे , सूअर तो तकिये से बाहर बहुत दूर था वहां गोली लगने के पश्चात तकिये पर गया हे हमने तकिये के अंदर उस पर कोई गोली नहीं चलाई हे इसके बाद भी उनको कोई नाराजगी हे तो में क्षमा चाहता हूँ !

राव की यह बात सुनकर फ़क़ीर और अधिक नाराज हुआ , उसने राजा को कहलवाया की यदि वे अपने प्राण बचाना चाहते हे तो अपने दोनों हाथ बांधकर और उन पर रुमाल डालकर मेरे तकिये पर उपस्थित होवे और अपनी डाढी से तकिये पर झाड़ू लगावे ! यदि ऐसा नहीं किया तो उन्हें कुछ समय बाद अपने प्राण छोड़ने होंगे !

यह सुनकर राव बड़े परेशान हुए ! उन्होंने अपने घनिष्ठ सरदारों से कहा की क्या हिन्दुओ में ऐसा कोई देवता हे जो मुझे स्वस्थ करे और मेरी इज्जत बचावे !

स्तिथि बड़ी विकट थी हिन्दू धर्म की सत्ता व् शक्ति का भी प्रश्न था राव मरणासन्न की स्तिथि में पहुच गये , इस पर हणोतिया ग्राम के चारण उम्मेदराम जी पालावत ने कहा की हिन्दुओ में भी देवी देवताओ की कमी नहीं हे यदि आप कहे तो में शक्ति करणी को चडाऊ जिरजाओं व काव्य द्वारा आव्हान करके आपके पेट दर्द ठीक करने की प्रार्थना करू ! राव बख्तावर सिंह ने कहा की माँ शक्ति करणी को अविलम्ब बुलाओ वरना मेरा अंत हो जायेगा !

उम्मेदराम पालावत ने दीपक की ज्योति जोड़कर चडाऊ चिरजाओं व काव्य से करुण पुकार की भावपूर्ण प्रार्थना करना आरम्भ किया! कुछ ही देर में महल के बुर्ज पर एक चील पक्षी के रूप में आकर, शक्ति विराजमान हुई ! कवी ने राव से कहा की बुर्ज पर चील के रूप में शक्ति करणी पधार गई हे ! आप दर्शन कर अपना पेट दर्द ठीक करे ! राजा ने खड़े होकर शक्ति करणी को अनेकों प्रकार से प्रार्थना कर के पेट ठीक करने को कहा ! कुछ क्षण में राजा का पेट दर्द बिलकुल ठीक हो गया ! वे बड़े प्रसन्न हुए ! राव बख्तावर सिंह ने अपने सिपाइयो को आदेस दिया की अधिक से अधिक रसूल शाही फकीरों के नाक – कान काट ली जावे ! सिपाइयो ने तत्परता से काम करते हुए लगभग 700 रसूल शाही फकीरों के नाकों को काट लिया !

राव बख्तावर सिंह ने माँ करणी से पूर्ण आस्था रखते हुए पच्चीस हजार रुपये की पूजन सामग्री देशनोक भेजी ! जिसमे एक जडाऊ पादुका, एक जोडी सोने के किंवाड, एक जडाऊ छत्र, एक सोने की चौकी, एक सोने की छड़ी भी शामिल थे ! पादुका की जोड़ी अब भी मंदिर के खजाने में रखी हुई हे ! किंवाड की जोड़ी मंदिर द्वार पर चड़ी हुई हे ! राव जीवन पर्यन्त तक शक्ति करणी के अटूट भक्त रहे !

शक्ति करणी के उस चडाऊ काव्य के दो कवित उम्मेद राम जी के कहे हुए इस प्रकार हे —

|छप्पय|
चंदू वेगी चाल ! चाल खेतल वड चारण !
तोरे हाथ त्रिशूल ! धजाबंद लोवड धारण !!
वीसहथी इणवार ! देर मतकर डाढाली !
हरो रोग हिंगलाज ! करो ऊपर महाकाली !!
लगाज्यो वेर, पल हेक, मत ! आवडजी री आंण सूं !
आखता सिंह चढ़ आवज्यो ! माता मढ़ देसाण सूं !!१!!

गुंगी, गैली आव ! आव बहरी वरदाई !
हाल, आकुळी आव ! आव करनी मेहाई !!
देवल वेगी दौड़ ! देर मतकर अनदाता !
चालराय झट चाल ! मढ सूं आज्यो मात !!
बावड निभांण जूना बिडद ! आवड जी री आंण सूं !
आखता सिंह चढ़ आवजो ! देवी गढ देसांण सूं !!२!!

~प्रेषित गणपतसिंह मुण्डकोशिया

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