Sat. Apr 19th, 2025

टोडरमलजी चांचडा
एक समय जब बाबर बहुत शक्तिशाली हो गया तब सभी राजा महाराजाओं ने महाराणा सांगा के साथ मिलकर बाबर से युद्ध करने की योजना बनाई और बयाना में आकर सभी राजा महाराजा एकत्र हो युद्ध किया, युद्ध बहुत ही भयंकर हुआ जिसमें बाबर के आगे सारी फौजें भाग छुटी ! युद्ध भूमि में लड़ते-लड़ते महाराणा सांगा अचेत हो गए घावों से अचेत पड़े महाराणा के हाथी का महावत भी हाथी ले भाग गया ! होश में आने पर जब राणा सांगा को हार का पता चला तो राणा सांगा क्रोध से जल उठे, ग्लानी से पिघल गए और अति शर्म महसूस करने लगे, सांगा जी का युद्ध में एक हाथ कट गया, एक पेर बेकाम हो गया, एक आंख फूट गई और शरीर पर 80 घाव लगे थे ! सांगा जी को इस हार से इतनी शर्म आई की अपने को मरे समान समझने लगे, कामकाज खाना पीना सब कुछ भूल गए ! किसी को अपना मुंह दिखाना भी सांगा जी को अच्छा नहीं लग रहा था !
तब सांगा जी की मानसिक स्थिति देख कर चारण कवि टोडरमल चांचडा ने डिंगल में एक गीत रच राणा जी को सुनाया —

सतबार जरासंग आगळ श्री रंग,
विमुहा टीकम दीधा जंग!
मैली घात और मधुसूदन,
असुर घात नांखै अलग |1|

पारथ हेकरसां  हथणापर,
हटियो त्रिया पंडता हाथ!
देख जकां दुरजोधण दीधी,
पछै तकां कीधी सज पाथ|2|

हेकर राम तणी तिय रावण,
मंद हरै गो दहकमल!
टीकम सो हिज पत्थर तारिया,
जगनायक ऊपरां जळ |3|

एक राड़ भव मांह अवत्थी,
अमरख आणैं केम ऊर!
मालणां कैया त्रण मांगा,
सांगा तू साले असुर |4|

(कृष्ण भगवान को जरासंघ ने कितनी बार हराया मगर आखिर में जरासंघ को मार ही दिया, दुर्योधन ने द्रोपती का चीर खींचा उस वक्त पांडव नीचे देख कर बैठे रहे मौके की तलाश में बैठे पांडव मौका लगते ही दुर्योधन को मार गिराया ! भगवान राम की सीता को एक बार रावण ले गया इस दुख से राम जी निराश होकर नहीं बैठे, राम जी पानी में पत्थर तिराए, रावण को मार सीताजी को वापस लाये ! राणा सांगा तू सम्पूर्ण उम्र में एकबार हुई हार को लेकर क्या पछतावा कर रहा हे, बाबर के कलेजे में आज भी तेरा नाम खटक रहा हे उठ शर्माना छोड़ और युद्ध कर !)
गीत क्या था कलेजे पर लगे घावो पर संजीवनी बूटी का लेप था ! सुनते-सुनते राणा के रोंगटे खड़े हो गये, सोये हुए एकदम से खड़े हो हाथ मुछों पर गया और प्रण किया की जब तक बाबर को नहीं हराऊंगा चित्तोड़ पर पांव नहीं रखूँगा ! नया उत्साह और नया जीवन देने वाले चारण कवी को उस वक्त बकाण (बकाण गाँव भीलवाडा जिले में कोशिथल के पास हे जंहा आज भी टोडरमल जी के वंसज निवास करते हे ) गाँव बख्श पूरा कुरुव दिया और कहा आज कवी तूने मेरे मरे हुए मन को दुबारा जीवित कर उठाया हे !
राणा सांगा को दुसरे युद्ध की तैयारी में लगे देख, युद्ध से डरने वाले कायरों और देश द्रोहियों ने सांगा को जहर देकर लम्बी नींद में सुला दिया !

~~प्रेषित गणपत सिंह चारण मुण्डकोशिया

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