हमारी सप्तरंगी संस्कृति में कथाओं और कथाकारों का विशेष महत्व हैं। पौराणिक और लौकिक विषयों से जुङी कथाओं को कलात्मक और रौचक अंदाज में जनसामान्य तक पहूंचाने का महनीय कार्य कथाकारों द्वारा अनवरत किया जा रहा है। इन कथाकारों में चारण कथाकारों का विशेष स्थान हैं। चारण की चिह्वा पर वीणापाणि मां सरस्वती का निवास होता है, इसलिए इनकी वाणी कर्णप्रियता, निर्भीकता, सत्यता, साहस, सिद्धता और विशेष ध्वन्यात्मकता का संगम होती हैं। चारण कथाकारों की कथाओं में शक्ति उपासक होने के कारण मां जगदम्बा का यशोगान डिंगल और पिंगल शैली में विशेष रूप से शामिल होता हैं। धार्मिक और ऐतिहासिक आख्यानों पर आधारित लोक-कवियों की रचानाओं को चारण कवि की चिह्वा से सुनकर दर्शक और श्रोता स्वयं को धन्य समझते हैं।
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प्रसिद्ध चारण कथाकारों का परिचय प्रस्तुत हैं-
01. कथाकार पूज्य श्री जीवण भगत परिचय
नाम- जीवणभाई गगुभाई रुडाय
पिताजी का नाम- गगुभाई अर्जुनभाई रुडाय
जाती- चारण (गढवी)
गोत्र/शाखा- रुडाय (तुम्बेल)
जन्म दिनाक- 01/06/1981
गाँव- भोगात
तहसील- जाम कल्याणपुर
जिला- देवभूमि, द्वारका (गुजरात)
मोबाइल नंबर- 9978898989
कथा- राम कथा, देवी भागवत कथा, शिव पुराण,
कथा वाचन- गुजराती, हिंदी
शिक्षा- बीएड,
रुचि- पढाई, संगीत,
यादगार प्रसंग- दिनाक- 14/11/2017 को पाकिस्तान के बलूचिस्तान में माँ हिगलाज के सानिध्य में।
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