Fri. Nov 22nd, 2024

◆आसो सूद तेरस ऐटले आईश्री मोगल मांना थडानो प्रागट्य दिवस.
◆तेरस मोगल थडा नो प्रागट्य दिन, जन्म दिवस नही
◆जन्मदिवस तो आसो नी अजवाळी सातम

ज्यारे मिठापुर के भिमराणा ओखा ना चारणो ने मोगल नो थडो कई जग्याये छे ते खबर नोहती त्यारे… ओखा धरा ने उजाळवा ई दोहा ना चरण ने आशरे थडे दरशन करवा हारिज वाळा नारणदान झुला अने राफु थी शंकरदान लांबा गयेल पण त्यांतो बावळ नी झाडीयुं हती.

नजीक ना नेहडे पातरामल नामे अगरवचा चारण ने त्यां रही थडो गोतवा मथामण करी पण थडो मळे नई..सांजे पाछा पात्रामल ने त्यां आव्या. त्यां एक अज्याणा जणे आविने पुछ्युं आ मेमान कोंण छे अने शुं गोते छे ? दुधमलीयो चारण पात्रामल खिजाणो अने बोल्यो के तारे शुं जोवानु ? त्यारे ई अजाण्यो जण बोल्यो के ई जे गोते छे ए हुं सवारे गोती आपीश मने खबर छे ई क्यां छे. बिजा दिवसे सवारे पेलो अजांण्यो माणह आव्यो. बधा तेनी साथे गया… हाल ज्यां मोगल मंदिर छे त्यां कांटाळा बावळ नी झाडी हती तेना सामु आंगळी करी ने बताव्युं के त्यां छे…चारण पात्रामल अगरवचा, हारीज वाळा नारणदान झुला अने राफु वाळा शंकरदान लांबा त्रणेये ते झाडीमां जई ने सोध्युं तो त्यां माताजी ना सिंदुरिया वर्ण ना पत्थरो ना दर्शन थया…पण ते वखते त्यां आ त्रणज जण हता….ई थडो बतावनार मांणस त्यां नोहतो ..कोंण हसे ने क्यां गयो ते खबर नथी….

पण त्यार पछी ना वरसो मां आवन जावन रही मोगल जागृत थई ते पछी नो थडो बनाववानो यस शिवदान मेहडू, रतनदान तथा देवल माताजी वगेरे ने पण मोगल माताजीये अपाव्यो अने आजे ते स्थळे मोगल नुं मंदिर पण आकार पाम्यु छे…आ घटना ना जागता साक्षीयो मां पात्रामल साखे कदाच अगरवसा (हाल भिमराणा मिठापुर) पण जीवित छे,नारणदान झुला पण हयात छे..तथा भिमराणा ओखा रतनदान पण मोजुद छे…तेओनी हाजरी माँज आ सोध नो एहवाल सांभळी ने खराई करवा मां भिमराणा मंदिर ट्रस्टि रामदानजी झुला ,दिलिप सिलगा, जोगीदान चडीया,मंगल राठोड, वगेरे हता तथा पात्रामल चारण ना घरनी पण ते वखते मुलाकात बधाये लीधेल….
आ थडा नो जीर्णोद्धार करी प्रथम उजवणी करी ए तेरश नी करी हती अने माताजी ना प्रागट्य नी जांण ते दीवसे सौ ने करायेल…त्यारथी तेरस ने प्रागट्य दिन तरीके उजववा मां आवे छे..ओखा उजवे छे ई तर्कबद्ध उजवणुं छे..त्यांना थडा ना उजवणा नी तिथि प्रमांणे…बाकी बधे तो हेले हेलो हाल्युं छे तेरस नुं…

*डुबत चारण जग दधी, बांय ग्रही तें बाई*
*जनमी मोगल जोगडा, ओखा मंडळ आई*

ई.स.1195 थी 1200 आसपास राजकोट थी त्रिसेक किलोमिटर दुरी ना पिपळीया गामे देवसुर घांघणीया तेमना पत्नी राजलबा वाचा अने बेन चोराई मां अने परिवार सह रेहता..ज्यां पोतानी एकदी हाजरी नई अने तुर्कोये घण वाळ्युं..चोराई मां सहिद थयां….देवसुर घांघणीया नो रेंणाक बदलायो ने भिमरांणे थीयो..ज्यां मोगल नो जन्म…अने नेचडा ना नेस..एटले हाल ना गोरवियाळी मां आई ना लग्न…जगदंबा रोंणबाई मोगल ना दिकरी..सोडचंद्र दिकरो.. भगवती सेंणबाई मां ना पिता वेदो चारण पण आई मोगल ना प्रपौत्र ..
ईत्यादी वातो फरी क्यारेक पण हाल तो मात्र तेरस विसयक कहीये तो मात्र भीमराणा द्वारा तेरस नुं उजवणुं तार्कीक छे…कारण के ते थडा नी प्रतिष्ठा पण तेरस नी…बाकी हेले हेलो छे…

Click here more details


जानकारी
~~चारण कविश्री जोगीदानभाई गढवी (चडीया)

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *