प्रातः निवेदन
अंम्बा ओयणरीह,
छाया रख छत्रैस्वरी !
दिल मझ दोयणरीह,
व्यापै ताप न बीसहथ !
!! छप्पय !!
रिच्छाकर राखिया,
ज्वाऴ बाऴा मंजारी !
रिच्छाकर राखिया,
नाथ गौरख नरनारी !
रिच्छाकर राखिया,
पांच पाण्डव अर इण्डव !
रिच्छाकर राखिया,
अनंत वेऴा ब्रह्मण्डव !
मोटी ताप जामण मरण,
सो रिच्छा जग राखजै !
सेवगां तणी असरण सरण,
रिच्छा करणी राखजै !!
ऊगंन्तो दिनकर अजे,
पावण चरण पसाव !
कर सहसां लांबा किया,
भाऴै सेवक भाव !!
पोयण पद दरसण प्रतख,
लोयण लाभ लहन्त !
जोयण कण कण धर जंगऴ,
मग ओयण म्हेल्हंत !!
संकलन संप्रेषण !!
~राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर !!