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|| सूर्यवंदना ||
|| कर्ता : मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढ़ाय्च) ||
||  वीर छप्पय ||
(21-02-2019)
*व्याकरण भर विश्वेश,बण्यो नभ राय बहुरूपी,*
*व्याकरण भर विश्वेश,अलंकारीय सर उपी*
*व्याकरण भर विश्वेश,लय भरी पवन लगावे,*
*व्याकरण भर विश्वेश,संधि कर सांज सजावे*
*संपूर्ण सार व्याकरण समो,भर्यो जीवन सुर भागथी*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,अथ रच्यो रंग मित आगथी*
हे नारायण आप खुद एक व्याकरण समान उदाहरणीय छो,आपे धरती हवा जल नु  बंधारण रची एक जीवन ने वेग आपवामा प्रदान कर्यु,आप ना अंग ने छुटु करि आ सृस्टि रची,अने एनो अग्नि रंगे आप ना तेज ने आधार बनावी अमारा जीवन ने तारयु एवा देव ने नित वंदनं
(22-02-2019)
*उदित आभ आदित्य,मत्स रक्षतह तल मनु,*
*साय कमठ परे सिंध,वाराह हिरणाक्ष वध्वनु,*
*असुर वध्ध अवतार रूप नरसिंघ प्रगट रम,*
*वामन पद व्रहेमंड,नृप मर्याद रामनं,*
*किरपाळ बाळ कृष्णा कीरत,परशु धर्योय मित रूप को,*
*पट निरख प्रौढ़ अवनी परे,भव बुद्ध कल्कि सुर भूप को*
हे नारायण,धरती पर ज्यारे विष्णु ए अवतार धर्या,मत्स्य,कमठ,वाराह, नरसिंह,वामन,राम,कृष्ण,परशुराम,बुद्ध,अने आवनार अवतार कल्कि ने पण आप साक्षी रही ने निराख्या छे,इ अवतारों आदि युग मा थ्या हसे तो आप तो देव आदिअनादि थी छो आवा साक्षीरूप देव ने नित्य नमन
(23-02-2019)
*पावक रथ प्रजवंत,अंत आदि अवलोकन,*
*पावक रथ प्रजवंत,जंत जिव सकळ जयोदन,*
*पावक रथ प्रजवंत,कुसुम फोरत श्वासो कस,*
*पावक रथ प्रजवंत,मधु ग्राहत मुख रस मस*
*वदु उर विशाल विद्वानविद,तुही सर्व जिव तत्रकाल तार*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,सद सौम्य सृस्टि मित रहत सार*
(24-02-2019)
*थल विशाल तल थंभ,अहरनिश अकळ अनध अळ,*
*थल विशाल तल थंभ,जकळ बल भद्र उदध जळ,*
*थल विशाल तल थंभ,वंक अह्रीमान चले वट,*
*थल विशाल तल थंभ,नंकवे नाश नफट नट,*
*दैत्य नाश कर दयासिंध,भांज युद्ध कर भाष्करा*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,करू नित्य नमन मित काश्यपरा*
(25-02-2019)
*आयुर वैद अमाप,वैद तुहि अवन विशाला,*
*आयुर वेद अमाप,टैर पर हर दुःख टाला,*
*आयुर वैद अमाप,विश्व विज्ञान विजेता,*
*आयुर वैद अमाप,त्रिविध तरे  ताप खिजे ता,*
*अम प्रखर वेद विज्ञान अजा,सुर भूप सदाय सहायक है*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,नव लोक नमे मित नायक है,*
(26-02-2019)
*भजु नाम भवनाथ,परेश प्रमाण प्रसन्निय,*
*भजु नाम भवनाथ,विरल अविनाश वंदनीय,*
*भजु नाम भवनाथ,चमक चक रुप चंदनिय,*
*भजु नाम भवनाथ,अमर सुर आप अवल्लिय,*
*गिरनार टूंक गो गगन गढ़,भवनाथ तले सुर भव्य है,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,नित नमत स्थान मित नव्य है*
(27-02-2019)
*भष्म अंग भवभुत,भानु भव तांडव भळके,*
*भष्म अंग भवभुत,कंप धर अग्नी कळके,*
*भष्म अंग भवभुत,थिरक दल दैतसु थळके,*
*भष्म अंग भवभुत,जोम जद सुर तप जळके*
*भर चिलम भष्म भवभूत भमे,अवधुत दूत अमी दायक है*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,सुर अंग सहज मित सायक है*
(28-02-2019)
*कर्म काल कटी कंद,नंद कश्यप सुर नमता,*
*कर्म काल कटी कंद,समर भव हर भय समता*
*कर्म काल कटी कंद,भाष्य ब्रह्मांडे भमता,*
*कर्म काल कटी कंद,किरण तव काटे कमता*
*धर्म ज्ञान विज्ञान धणी,कळ जकळ कर्म कमान है*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,अ वनित आप मित आन है*
(कंद-मुळ,कारण)
(कमता- कुबुद्धि)
(अ-ब्रह्मा,विष्णु,महिश(त्रि देव)
(वनित-मांगेलु)
🙏—मितेशदान(सिंहढाय्च)—🙏
कवि मित
9558336512

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