Fri. Nov 22nd, 2024

👉 उफ ! यह आजादी…👈
”  आतंकवादी  “???
यह आजादी, गज़ब आजा़दी,
सारा विश्व सुलग रहा ।
मानव भक्षक बन मानव का ,
आतंक खेल उल्झ रहा ।
मंदिर, मस्जिद, गुरद्वारे खाली,
असुरालय अनेक बनें ।
रावण,कंस,दुशासन देखो ,
नित  नये  घन्ने  घन्ने ।
बेकुसूर गोली भेंट चढ़ें ,
बम बौछारें बरस रही ।
चींख पुकारें रोदन रड़ती,
बेबस नारी बिल्ख रही ।
लाल गंवाए लाखों लाडले ,
सुब्क दुब्क सिस्क रही ।
भय आतंक है इस विद्ध बरपा ,
पैरों पृथ्वी खिसक रही ।
नरसंहार मद नाच निर्दयी ,
ताँडव मौत ताल तने ।
कैसे उपजें निपजें ये कातिल ?
महान शासक क्यों मूक बनें !
क्या ! आड़ किसी ओट ऊपर से ,
पनपाता हो कोई देश इन्हें ।?
गर ढील हुई ! ना दमन किया ! ,
तो विश्व नासूर ये अवश बनें ।
यह देश हमारा विश्वगुरु है ,
विवश ना हो  पायेगा ।
हम विश्वप्रेमी, शान्ति के पूजारी,
कोई आतंक सह न पायेंगें ।
मेरे देशप्रहरी ” चाक चौबंद “,
ये उल्लू घुस ना पायेंगे ।
गर साहस जो किया कंस ने ,
तो मिट्टी में मिल जायेगा ।
मेरा भारत अमर अखंड रहे ,
कोई खंडित कर न पायेगा ।
शत्रु साजिश भलें करे सैकड़ों ,
बाल बाँका न कर पायेगा ।
हम करोड़ सवा सौ क्रांतिकारी ,
पौरुष परचम लहरायेगा ।
यकीन कर लो तुम दुनिया वालों ,
भारत ही भय मिटायेगा ।
जो टकराया वो टिक ना पाया ,
मुंह की भी खाई है ।
मिटा अस्तित्व मानचित्र मिट गया,
देता इतिहास गवाही है ।
जब जब फैला असुर आचरण ,
क्रांति ” हिन्द ” ने लाई है ।
फिर क्या मजाल! महिशासुर मोले… महाकाल से लड़ाई है ।
जगो साथियो… देश जगा है ,
बलीदान वतन पे होना है ।
कोख लज्जे ना मात् अपनी ,
दाग लगे सब धोना है ।
प्रताप, शिवाजी, पटेल,गांधी,
सुभाष सभी का कहना है ।
यह ” आहत ” भी ना जरा आहत,
ताँन खड़ा संग सीना है 💪🦁।
मैंने गर्व से सीखा जीना है 😊।
लहु शत्रु  जो पीना है ।।👌
यह ” आहत ” भी जरा आहत….
जय हिन्द… जय हिन्द ….
जय जवान..जय किसान 🙏🙏
आशूदान ” आहत ” जयपुर राज .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *