Wed. Aug 6th, 2025

शीखामण आपे सोनल आई
ढाळ – पग मने धोवा द्यो रघुराय
शीखामण आपे सोनल आइ जी
आपे सोनल आइ,हे जी समजो चारण भाइ
शीखामण आपे सोनल आइ जी
दाम लइने दिकरी देवी,एतो गजब पाप गणाय (२)
मने मानो तो माफ करजो,आतम मारो अकळाय
शीखामण आपे सोनल आइ जी…
करेल कमाणी काम न आवे,व्यसन मा वेडफाय (२)
शरीर संतती समाज बगडे,इ माराथी केम जोवाय
शीखामण आपे सोनल आइ. जी…
देवकुळ ना दिकरा आपणे,भीक्षा नव मंगाय (२)
त्रिशूळ जोइने टाढक लागे,काळज मारा ककळाय
शीखामण आपे सोनल आइ जी…
दारु दैत्य अभक्ष भक्षण,आपणाथी न अडाय (२)
शक्ति एथी हालि गइ छे,रदय थी रिसाय
शीखामण आपे सोनल आइ जी…
वेरझेर नी वाड्यो तोडी,चारण शुध्द थइजाय (२)
सोनल कहे “हरदास” ने मारु,तो तो जीवन सफळ गणाय
शीखामण आपे सोनल आइ जी…
रचना – चारण कवि हरदासभाइ राणसुरभाइ वाचा – जामनगर
चारण कवि हरदासभाइ राणसुरभाइ वाचा ए १५-०६-१९५९ मढडा मुकामे सोनलमानी विचारो सांभळीने ए ज घडीये आ रचना लखीने माताजी ने संभळावेली हती
आ रचना चरज थी अरज नामनी बुकमांथी लीधेल छे भुलचुक सुधारीने वांचवी
टाइपिंग – राम बी गढवी
नविनाळ कच्छ
फोन नं. — 7383523606
पुस्तक – चरज थी अरज भाग-४ मांथी लीधेल छे

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