श्री रामदयाल जी बिठू को श्रद्धा सुमन अर्पित कवि मधुकर ।
परम परमारथी आतमा ,समाज सेवी ,जाती रतन श्री रामदयाल जी बिठू का कुछ समय पहलै सुरगवास हो गया ।वह एक चारण विभुती थे ।उनहोनै अपनै जीवन में अनेक सतकर्म कियै ,कुदरत के क्रूर हाथां ने जाती का गोरव छीन लिया ।एसे धर्मात्मा ग्रहस्थ संत की मुर्ती अनावरण मोके पर कुछ पुष्पांजली काव्य एसे महामना के चरणां में अर्पित करनै का सोभाग्य एक पुस्तक के माध्यम सें मुझै उनके परिवार के ,सादर चण्डीदान सा ,मनहर सा के आदेश सें कुछ कवित बनाकर अपने आपको गोरवाविन्त महसुस करता हुवा यह काव्य ,महामना रामदयाल जी बिठू के श्री चरणां में अर्पित ।
सिंथल के गाम धन्य अंजस जो होय सदा ,पिता गोपीदान धन्य सपूत उपायो हो ।
चारण जाती जो धन्य उगो दिन चांनणो ओ ,ऊनीसें पचपनै वो इला साल आयो हो ।
पीथां का वास हो धन्य बांधव कुटम्बी पांथू ,धन्य बिठू रामदयाल जन्म धरायो हो ।
मात पिता मांमाली वा सबै धन्य मधूकर ,पत्नी कोशल्या धन पती एसो पायो हो ।(1)
राज सेवा रेलवै में थानेदारी निवर्त वो ,समाज सेवा को काज अदभूत सजायो हो ।
बीकानेर छात्रावास सेवा अंगीकार बड़ी ,बणै वार्डन जाती गोरव बधायो हो ।
प्यार अनुशासन में छात्रां में बढाई पेठ ,बालक निगरांनी फर्ज बेखुबी निभायो हो ।
मण्डल महा सचिव बणै धन्य मधूकर ,अनेक संस्थान केहू ऊचो पद पायो हो ।(2)
राज वो समाज सेवा फिर राम काज सेवा धन्य संत धरती जो धोरां पर्म धायो हो ।
कबजे हटाय केहू तारबंदी जो कराय ,पेड़ पोधै लगाय पुनीत कर्म पायो हो ।
पर्यटक स्थल सो परम पवित्र धाम ,बाबे को सुथान सर्म उधान बनायो हो ।
दांणा चुगा डाल पंछियां पै दया मधूकर ,रंग रामदयाल मन धर्म में रमायो हो ।(3)
अचानक हुवो हेलो पंथ वेतां ओछतो ओ ,समाज सपूत हाय सुरग सिधायो हो ।
एसे महा मानव कि आगे भी जरूरत ओ ,परलोक आण हरी संदेस पठायो हो ।
तूटो तारो धोलै दिन धरा पै तटाक ताय ,जाती को सितारो जाय अम्बर जचायो हो ।
भावी वा श्रद्धा सुमन चढावै भमर दान ,प्रभू आह तेरी गती कोण पार पायो हो ।
एसी परम आतमा को पुन सादर नमन कवि भवरदान बिठू माड़वा मधुकर सत सत नमन 🙏🏻🙏🏻🕉