श्री सैणी जी रो छंद
रचना- राजेन्द्र दांन विठू (कवि राजन झणकली)
देवी हिंगलाज दाखतों वेदे जा वरदाय
आदी सगती आखतों सेणी आ सुताय।।,,,1
चेतर आठम चानणी पावन दिन परचाय।
समत तेरस छिंयालिसे आई पधारी आय।।,,,,2
वेद सुता वरदायनी मात हंसा ज महान
मोगल पोती मोगना जपे नित नित जहान।।,,,3
इन्दर अखाड़ो ओपतो सोनथळी सुहाय
सगती नवलख संग रे रामत मंडती राय।।,,,4
मनोहर रमत मात री सगती रूप सदाय
भल वेदो वड भागियो नेणो सूं निरखाय। ,,,,,,5
आदी सगती आखतों सेणी आ सुताय।।,,,1
चेतर आठम चानणी पावन दिन परचाय।
समत तेरस छिंयालिसे आई पधारी आय।।,,,,2
वेद सुता वरदायनी मात हंसा ज महान
मोगल पोती मोगना जपे नित नित जहान।।,,,3
इन्दर अखाड़ो ओपतो सोनथळी सुहाय
सगती नवलख संग रे रामत मंडती राय।।,,,4
मनोहर रमत मात री सगती रूप सदाय
भल वेदो वड भागियो नेणो सूं निरखाय। ,,,,,,5
छंद त्रिभंगी
नैणो निरखंतों कोड करंतो मोद भरन्तो मन माही
निरभै नाचंतो रास रमन्तो सुख उपजन्तो सुख दाही
हँसा हरखन्तों ध्यान धरंतो केवत कंतो करुणाई
सेणल सुखदाई समरयो स्याई वेदे जाई वरदाई जी संकट हरणी सुरराई,,,,,,1
नैणो निरखंतों कोड करंतो मोद भरन्तो मन माही
निरभै नाचंतो रास रमन्तो सुख उपजन्तो सुख दाही
हँसा हरखन्तों ध्यान धरंतो केवत कंतो करुणाई
सेणल सुखदाई समरयो स्याई वेदे जाई वरदाई जी संकट हरणी सुरराई,,,,,,1
हिंगलाजा माजी हुई जद राजी सुणी अवाजी वेदाजी
तेरह समता जी साल छिंयाजी शुक अष्टाजी चेताजी
हाँसी हरखाजी जाई माजी सेण सुता जी सुखदाई
सेणल सुखदाई समरयो स्याई वेदे जाई वरदाई जी संकट हरणी सुरराई,,,,,,2
पावन परचाली करत क़िलाली वीश भुजाली वरदाली
सेणल सुखवाली अति रुपाली प्रेम पुराली परचाली
वेदा पितु वाली सब समझाली चिंता चाली चिरताई
सेणल सुखदाई समरयो स्याई वेदे जाई वरदाई जी संकट हरणी सुरराई,,,,,,,3
तालाबो ताई सखियों साई मृग सुताई ममताई
गळहार बंधाई राग रुकाई ताल बजाई भगजाई
बींजानन्द गाई वचन दिराई हार लिराई हरषाई
सेणल सुखदाई समरयो स्याई वेदे जाई वरदाई जी संकट हरणी सुरराई,,,,,,,4
हिंगलाजा हाली मां मतवाली धार गुंदाली रुकवाली
विदवड विरखाली देय हथाली सगत सेनाणी सुखवाली
धूले भरवाड़ी दे पुतराली आश पुराली अबखाई
सेणल सुखदाई समरयो स्याई वेदे जाई वरदाई जी संकट हरणी सुरराई,,,,,,5
मंगलोरो आया नीर पिवाया दांतन माया रूपवाया
गणजो अब थाया मां परचाया केर धूलिया रुकवाया
चवला नुक़साया आंबल थाया ओरण पाया परचाई
सेणल सुखदाई समरयो स्याई वेदे जाई वरदाई जी संकट हरणी सुरराई,,,,6
जुढिये मढ़ रेणी रास रचेणी सगती सेणी सोनथळी
गुड़ लापस खेणी पूज चढ़ेणी दांतन देणी रोपवळी
मूरत उछळेणी कुंप नीरेणी बहु वेगेणी वरदाई
सेणळ सुख दाई समरयो स्याई वेदे जाई वरदाई जी संकट हरणी सुरराई,,,,,,7
हेमाळे हाली माँ मतवाली ध्यान धराली धजबन्दा
सरगों पथ चाली तूँ तपवाली जोत मिलाली जगतंबा
राजन रखवाली रहे सदाली कृपा कराली करूणाई
सेणळ सुखदाई समरयो स्याई वेदे जाई वरदाई जी संकट हरणी सुरराई,,,,,8
छपय
आय हिंगोळ अवतार आप अवनी पर आया
आय हिंगोळ अवतार सेणळ नाम सुहाया
आय हिंगोळ अवतार समरयो करती साया
आय हिंगोळ अवतार रास जुढिये रमाया।।
वेद सुता वरदायनी आवजो मात अवलंब
कवि राजन पर कृपा करें जुढिये राय जगतंब।।
कवि राजन झणकली कृत