Fri. Nov 22nd, 2024

{{पींगलशीभाइ पी पायक//मातृदर्शन}}

पोस्ट टाइप :- सामराभाई पी. गढवी, गाम मोटी खाखर (कच्छ)
मोरारदानजी सुरताणीया गाम:- मोरजर (कच्छ)

आई नागबाई जुनागढना छेल्ला रा-मांडलिक त्रीजानां समकालीन हतां. रा मांडलिक सं, १४८९ इ. स. १४३३ मां गादीए आव्यो, ए वखते तेनी उम्मर वीशेक वर्षनी हती. एटले तेनो जन्म वि.सं. १४६९ इ.स. १४१३ आसपास थयो होवानु जणाय छे. अने आई नागबाइ पुत्र खूंटकरण रा मांडळिकथी दशेक वर्ष मोटो हतो एटले आई नागबाई रा मांडलिक करतां त्रीशेक वर्ष मोटां होवाथी तेमनो जन्म वि.सं . १४३९ इ.स. १३८३ लगभग थएलो तेम लागे छे,

आई नागबाइना पितानुं नाम हरजोग गढवी तेमनी शाख अटक मादा. तेओ जुनागढ पासे धणकूलीआ नामना गामे रहेता हता. धणा सुखी हता. खूब भेंसो, गायो राखता अने खेती करावता.आइने जुनागढथी दक्षिणे दशेक माइल पर आवेला दात्राणा नामे गामना गढवी रविसुर (रवसुर) गोरविआळा साथे परणावेलां. तेओ गाम धणी जागीरदार हता. एमनी जागीरमां दात्राणा उपरांत मोणिया हतां. जगतम्बानां परम ऊपासक अने भक्ति ध्यानमां लीन रहेनारां, वचनसिद्धिवाळां हतां नानी वयथीज तेओ माताजी तरीके प्रसिध्ध थइ गयेला अने नवरात्री मां चंडीपाठ नां पुरश्र्वण थतां. ए वखते हजारो भाविको एमने त्यां आवतां. कहेवाय छे के चोर्याशी गामना लोको नवरात्रिमां माताजीनां नैवैद्य करवा माटे दात्राणा आवतां एटले चरजोमां आई नागबाईने” चोयाशीना चाकळावाळा नी उपमा आपवामां आवी छे. रविसुर गढवीने पहेला लग्र थी भोजो अने वेदो (उपनाम दुदो) नामना बे पुत्रो थएला. तेमांथी भोजो निवॅस स्वगॅवासी थया अने वेदा अथवा दूदाना वशमां गोरवीआळीना गोरवीआळा छे. अने रविसुरनां बीजा लग्र आइ नागबाई साथे थयां तेमनो एकज पुत्र नामे खूटकरण. ए खूटकरणनां धमॅपत्निनु नाम आई मीणबाइ, जे खूब स्वरूपवान, तेजस्वी अने जोगमाया स्वरूप हतां. खूटकरण अने मीणबाईना त्रण पुत्रो-तेमांथी एक अपुत्र थया. अने बीजा बे तेमांथी एक नागाजण अने बीजा सहूंदर. ऊपर कह्यु तेम खूटकरण रा-मांडलिकथी दशेक वर्ष मोटा हता. आने ए बे वच्चे गाढ मित्राचारी हती. उपरांत खूटकरणनु गोरवीळा कुळ आइ गोरवीना वखतथी जुनागढना रा ना वंश साथे दशोंदी तरिके संकळाएलु हतु . खूटकरण पासे सूरजपशा नामनो एक थोके थोके रूपाळो अने भलो पाणीपंथो धोडो हतो. तेना पर स्वार थईने खूटकरण दररोज सवारमां रा पासे जुनागढ आवता अने आखो दिवस रा पासे रोकाता, राजकाजमां सलाहकारनु काम करता. रा ने कसूंबानु बधाण हतु ए बन्ने मित्रो एक बीजाना हाथे कसुंबो लेता साथेज जमता. अने खूटकरण दररोज सांजे पाछा दात्राणे जता. प्रौढावस्थामां खूटकरण गढवीनी तबीयत नरम गरम रहेवाथी तेमना मोटा युवान पुत्र नागाजणे तेमनु स्थान संभाळ्यु. एटले तेओ दररोज जुनागढ आवता अने रा ने कसूंबो पीवरावता. थोडाक समयमांज नागाजणना बुद्धिचातुयॅ, राजनीतिपटुता, चारणवट अने सज्जनतानी घणी सुंदर छाप रा मांडलिकना मन पर पडी राने तेना तरफ खूब मान उपजयु, पोतानाथी दशेक वर्ष नाना नागजण साथे राने नागजणना पिता खूटकरणनी जेमज मित्रभाव दढीभूत थयो. अने हळवे हळवे राजकाजमां रा तेनी सलाह लेवा लाग्या.

आवी रीते रा तथा नागाजण वच्चे वधतो जतो आत्मीयतानो भाव रा ना केटलाक पासवानाे, तेना हजूरीया अने बीजा कर्म चारीओ-कारभारीओने खूचवो लाग्यो, एमणे संगठ्ति रीते रा ना कान भंभेरवा शरू करी दीधु. तेमणे भेगा मळीने राने कह्यु के- नागाजण पर आप वधारे पडतो विश्र्वास राखो छो ते बरोबर नथी. तेनी वफादारी अने विश्र्वसनियतानी खात्री करवी जोइए रा ए कह्यु के नागाजण चारण छे आई नागबाईनो पौत्र छे एनी विश्र्वासपात्रतामां मने तो कई शंका आवती नथी अने धारो के आपणे खात्री करवी होय तो केवी रीते ते करवी? एटले कारभारीए कह्यु के बापु ! खात्री करवी होय तो नागाजण पासे भलो धोडो छे, राजमां शोभे एवो छे ए धोडानी आप मागणी करी जुओ. जो ए धोडो आपे तो एनी वफादारी, लागणी अने राजभक्ति साचां समजवां, अने जो न आपे तो समजवु के ए पूरो वफादार नथी राने पण नागाजणनो धोडो मेळववानी ईच्छा हती ज, एटले तेणे एक दिवस नागाजण पासे ए धोडानी मागणी करी अने मागे ते किम्मत आपवा कह्यु एटले नागाजणे कह्यु के बापु ! आपनी पासे तो मारा धोडा जेवा हजारो धोडा छे अने आप धारो तो बीजेथी पण एवा अनेक भला धोडा मेळवी शको तेम छता अने मारे आ एकज छे ते मने तथा मारा आखा कुटुबने, आईमाने (आइ नागबाइने) पण बहु व्हालो छे. एटले मने माफ करो रा ए फरीने पण एकाद वखत कही जोयु पण नागाजण मान्यो नहि एटले रा हदयथी तेना पर नाराज थयो त्यारबाद रा ना पासवानो नागाजण पर वार वार दबाण करवा लाग्या. के नागाजण ! धोडो तो तमारे राने आपवो ज जोइए तसे राना मुलकमां रहो तेमनी आपेली जागीरो खाओ अने धोडो न आपो, ए केम चाले विचार करी जोजो रा ने नाराज करवा मां सार नहि काढो. पण नागाजणे न मान्यु. ते चारण हतो चारणवटनी खुमारी तेना लोहीमां हती; स्वतंत्र प्रकृतिनो हतो. युवान हतो. रा तरफथी धोडो लेवा माटे दबाण आगळ झुकवानु तेना स्चभावमां न हतुं. ए दबाणे तेना मन पर उल्टी असर करी. अने गमे ते परिणाम आवे तो पण धोडो न ज आपवो, ए विचारनी पकड वधारे मजबूत बनी पण दबाण करनारी राज्यसता तेनो अमल करे तो शुं करवुं ए विचार पण तेने मूझवतो हतो.

दरमीआन रानो एक जागीरदार सरदार वीको सरवेयो हतो, तेणे रा ना संबंधी सागण वाढेरने मारी नाख्यो. रा ए तेना पर नारज थई तेनी जागीर खालसा करी. एटले वीको रा सामे बहारवटुं खेडवा लाग्यो. वीको सरवैयो आम तो सदगुणी अने लायक वीर पुरूष हतो एटले वीरताना पूजक चारणोने तेना तरफ घणो सदभाव हतो, सहानुभूति हती. नागाजण तथा तेना कुटुंबवाळाओने पण वीका तरफ माननी लागणी हती. एक वखत नागाजण सांजने टाणे जुनागढथी दात्राणा जइ रह्यो हतो. त्यारे वचमां ओझतना पेटाळमां वीको सरवैयो सामो मळ्यो. राम-राम जय माताजी कर्या. वीकाए नागाजणना जातवान एने पाणीदार धोडाना वखाण कर्या अने नागाजण ना मनमां मोज आवी अने ते बोल्यो के वीका सरवैया ! तमने धोडो गम्यो छे तो हवे ए तमारो वीकाए ते लेवानी ना पाडी पण नागाजणे कह्यु के मारो संकल्प फरे नहि. मे आप्यो एटले आप्यो. एम कही पराणे धोडो वीकाने आप्यो. आ वातनी रा ने जाण थतां ते अत्यत रोषे भरायो. अधूरामा पूरू तेना पासवानो ए तेने खूब ऊश्केयोॅ एटले तेणे नागाजण पर अने सवे चारणो पर दाब बताववा अने धाक बेसाडवा माटे २०० धोडेस्वारो साथे दात्राणा पर चडाइ करी, पोते जाते चडी आव्यो.

रा धोडा लइने चडी आवे छे, एवा खबर मळतां खूटकरण वगेरऐ आई नागबाईनी सलाह लइने रा नु सुंदर स्वागत करवानुं नक्की कर्यु. वाजते गाजते सामैयुं लई सामा गया. पण रा ए चारणोनुं स्वागत स्वीकारवानी ना पाडी दीधी अने राजना बहारवटीआने मदद करवानी-राजद्नोह करवानी सज्जा रूपे जुनागढनी हदमांथी नीकळी जवानो हुकम कयोॅ. ९० वर्ष नां आई नागबाईने आ खबर मळतां तेओ पोते पधार्या, राने मळ्यां घणो समजाव्यो. पण हठे भराएलो रा न मान्यो. एटले आई ए कह्यु के बाप रा ! चारणो तो तारा वडवाओ पहेलां आ धरती पर वसेला छे. अने अमे तारा कहेवाथी नीकळशु पण नहि अने जो बळजबरी करवा गयो तो जे थोडा दिवस पछी बनवानु छे, ते आज बनशे. तने खबर नथी के तारा माथे केवु जोखम झझुंबी रह्यु छे. सांभळी ले. तारू राज्य रोळाइ जवानु छे. तु रखडतो थई जवानो छे. एम मने भणकारा संभळायछे एम न होत तो चारणोनी-माताजीनी मर्यादा लोपवानुं, चारणोनी आजी, विका झुंटवी लेवानु तने न सूझत आईनां ए वेणमां तेने काळ चोघडीयां वागतां संभळाणां. चारणो पर धाक बेसाडवानु, एमने दात्राणामांथी हांकी काढवानु नक्की करीने आवेला राने आई नागबाइ विराटनी प्रलयकारी मूति समान लाग्यां अने ते भयभीत थइने जुनागढ तरफ रवाना थई गयो. आई घणा नाराज थयां. तेमनु अंत करण कळकळी ऊठयुं रा चारणोना घर पर धोडां लइने आवे अने दात्राणा छोडी जवानो हुकम करे, ए वात आईओनी, चारणोनी संस्कृतिमां ऊछरेलां अने जीवेलां आईमाटे असह्य हती. ज्यां स्वमान न जळवाय त्यां न रहेवानो पोते निणय कर्यो अने पोताना कुटुंबीजनो साथे मोणीये आव्यां. त्यां केटलोकसमय आत्ममंथन कर्या बाद तेमणे निणय कर्यो के जीवननी संध्या चारणोना मूळ निवासस्थान हिमालयनी छायामां, हरद्रार तीथॅ मां गगा किनारे वीताववी अने त्यां रहीने जगदंबानी साथे एकात्मता साधवी, आत्म चितन करी मानव जीवननु साथक करवु सौ कुटुबीजनोने ए निणय जणावतां तेमणे घरे रही, उपासना, ध्यान-भक्ति करता रहेवा माटे खूब आजीजी करी. पण देशकाळनी गतिने पारखी गएलां आई रोकायां नहि अने हिमालय तरफ प्रयाण कयुॅ तेमनां भक्त एक हरिजन दंपती वेलडु जोडीने तेमनी साथे हरद्नार गएलां अने तेमणे सौए गंगाकिनारे इष्ट स्मरण करतां करता काळ क्रमे शरीर छोडयां. आ हकीकतनी साक्षी पूरती ए हरिजननी खांभी आजे पण मोणियामां आई नागबाईना मंदिरनी अंदर ज छे अने आई नागबाइनी पूजा साथे ए खांभीनी पूजा करवामां आवे छे, आरती उताराय छे.

रा ए चारणो पर दबाव पाडवाथी, पुजनीय चारण जातिनी तथा जगदंबा स्वरूप आई नागबाईनी मर्यादानु उल्लघन करवाथी प्रजा समुहमां मोटो खळभळाट मची गयो. तदुपरांत पासवानोनी चडामणीथी रा ए भक्तवर नरसिह महेतानी आकरी कसोटी करी, तेमने दूभव्या, मुश्केलीमां मूकया तेथी पण प्रजा समुहमां रा तरफ घणो कचवाट फेलायो. एज अरसामां स.न. १४७२-७३ मां गुजरातना सुलतान महमूद बेगडाए जुनागढ पर त्रीजीवार आक्रमण कयुॅ. रा मांडलिकने हरावीने जुनागढनु राज्य खालसा कर्यु अने रा माडलिक बहु अपमानित थईने कफोडी दशामां मृत्यु पाम्यो.

आइ नागबाईए समस्त जनताने सविशेष चारणोने अध्यात्मने रस्ते आगळ लई जवा माटे जीवनभर प्रयत्न करेलो. एमनु जीवन परोपकारमय हतु एमने घरे जे संपत्ति हति तेनो ऊपयोग सौना कल्याण माटे तेओ सदा करतां रहेतां. राजा महाराजाओ अने सर्वे प्रजावर्ग तेमने साक्षात जगदंबा स्वरूप मानतां अने आई पोते पण धर्ममां, आचारमा दढ रही जगसंबाना ध्यान पूजननी साथे साथे कर्मयोगीनी जेम सौनु हित साधतां रहेतां. एमनी उदारता, आतिथ्य प्रेम, परोपकारमयी प्रवृत्तिओ अने धर्मोत्सवोनी जनसमाजना मानस पर ऊंडी छाप पडेली. प्रचलित रीते मातवामां आवे छे. तेम एमणे रा ने शाप आप्यानी वात बरोबर नथी, साची नथी एमणे तो काळनां चोघडियानो शु अवाज छे तेज रा ने कहेलु. आई नागाबाइ तथा रा मांडलिक अगेनी सत्य हकीकत उपर प्रमाणे छे. पण लोकोने लाग्यु के आई जेवां जगतम्बाने कचवाववाथी ज रा नु राज्य गयु अने ए लागणीनो पडधो जनमानसना बधा स्तरो पर पडयो अने परिणामे केटलाक रावण हथ्थावाळा जेवा फरता चरता गायकोए साचा इतिहासने मारी मचडीने दोहाओ रच्या; जेमा आई नागाबाईनां पुत्र वधु आई मीणबाइ तरफ रा ए कुदष्टि कर्यानी अने आई नागाबाईए राने शाप आप्यानी खोटी वार्ता गूंथवामां आवी छे. ते अतिहासिक सत्यथी वेगळी तदन जुठी छे आई नागबाई एवा कोई दोहा के एवां कोई वाक्यो बोलेलां नहि अने रा मांडलिके आई मीणबाई पर कुद्रष्टि कर्यानी वात पण तदन बनावटी छे. ए दोहाओमां चारणनी कवितानु काव्य तत्व कयांय देखातु नथी, एमां क्याय आई नागबाईना जाजवल्यमान व्यक्तित्वनी झांखी थ‍ती नथी. एमनी प्रतिभानी क्यांय झलक नथी. एने रा नी उमर ए वखते ६० ऊपर हती अने ते विषय लंपट पण हतो नहि.

(आइ नागाबाईना पति रविसुर गोरवीआळा आई मोगलनी ७मी पेढीए अने आई गौरवीनी ६ठी पेढीए सीधा वंशज हता. रविसुर, तेमना पिता जशो, जशाना पिता मेपो, मेपाना पिता वेदो, (आई शेण-बाईना पिता वेदो) वेदाना पिता भाणसुर, भाणसुरना पिता सोडचंद्न अने भाणसुरनां माता आइ गौरवी अने सोडचंद्ननां मा ते आई मोंगल)

आई नागाबाईना केटलाक परचाओनी – चमत्कारोनी वातो तेमना वंशजो रावळदेवो वगेरे पासेथी जाणवा मळे छे. जे नीचे मुजब
(01)* कोइ कुतुबुदिन गोरी(कुतबो) बहु अनीतिनां कामो करतो अने गामनुं खाडु वाळी गएलो. ते तेना घरमां, पलंग पर सूतेलो हतो. तेने नीचे पछाडयो अने तेना नाकमां नाकर अने पगमां बेडीओ नाखीने बांधेलो पूरेलो अने तेना ७००सैनिकोने पाषाणवत बनावी दीधेला
*(02)* हीरा-अने परवाळ नामनी धोडांओनी उत्तम दैवी जातो नो उछेर कराव्यो
*(03)* पोताना भक्तोना डुबतां१२) वहणोने बचावी लीधेलां
*(04)* सांगड वागेरने अविचळ टीलुं आप्युं
*(05)* कांधल चावडाने चमकपाण कीधुं
*(06)* चारे धामनी यात्रा करी आवीने हेमनी जात्रवाणी सोनानां वासणनी लहाणी करेली.

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *