कय मधुकर जय करनला, किरपा दय किनियान।
काव्य सधर लय कथणी, सय सुख घर शुभियान।
साय तमां रिछपाल हमां सद, आप नमां अहसान अपारा।
हाँ हम बाल झिकाल किया हद, हाल बैहाल पीड़ा हर वारा।
कंठ तणी गंठ गाल दिया कद, आल पंपाल अदीठ उबारा।
माँ करणी मेरवान मधुकर, वा धन जीवन मान वधारा।
माँ सब संकट मेट हमारा।
में तो अबूझ अमूज मनां अत, सूज नही मग लाभत सारा।
तूझ करी मुझ मात हेमायत, धूज रया मम डील सुधारा।
वी पी अरू शुगरूज बतावत, ऊज बिमारी सें पार उतारा।
माँ करणी मेरवान मधुकर, वा धन जीवन मान वधारा।
माँ सब संकट मेट हमारा।
माड़वाल मो गाम बडाल मरूधर, जो धर जेसल आन जचारा।
ताय गुणी बिठुवान जो गोतर, पोतर पूत प्रवीन प्रचारा।
वाय बणी विधवान विसोतर, ओ घर दे वरदान आचारा।
माँ करणी मेरवान मधुकर, वा धन जीवन मान वधारा।
माँ सब संकट मेट हमारा।
सांप्रत पैला दै संग सपूतर, पोतर दोय दिया अब प्यारा।
बोत खुशी हम वंश बधोतर, जोर माँ तोर करां जयकारा।
भमर भाव विभोर मनां भर, ओर अनेक किया उपकारा।
माँ करणी मेरवान मधुकर, वा धन जीवन मान वधारा।
माँ सब संकट मेट हमारा।
माय घरां बरसाय माया घण, दाय रखावण पाय दुलारा।
वाय खुशी बगसाय विद्धा वण, ताय ओला पण तो महतारा।
आय सदाय रखो अपणा पण, भाय भोलापण भंमर भारा।
माँ करणी मेरवान मधुकर, वा धन जीवन मान वधारा।
माँ सब संकट मेट हमारा।
करनल सुत दो नोकरी, पिछड़ गयै वो पेल।
हमें भमर इति चाहना, टणको खुदे टुवेल।
~भंवरदान मधुकर माड़वा