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“सगत चम्पा मात रो सुजस”

दोहा
उकत समापण ईसरी, सगत रहावो साथ ।।
चम्पादे धिन चारणी, मात नमावूं माथ ।।1।।
धरा डीणसी धिन्न हो, मुल्क पारकर मांय ।।
जनम लियो उत जोगणी, सगत करण  नित छांय ।।2।।
भगती किन्ही भाव सूं, पति सेवा व्रत पाळ ।।
चम्पा धिन धिन चारणी, परम मात परचाळ ।।3।।
सिंहढायच कुळ सासरो, उत परणे घर आय ।।
कंत सेवना कारणे, हिये रही हरखाय ।।4।।
आप न लोपया ईशरी, कंत तणा ई कौल ।।
सगती जनम सुधारवा, बहुत निभाया बोल ।।5।।
आप मेकेरी आयके,  अडग कियो आवास ।।
सगती भगती साथ में, अधक कीध उजियास ।।6।।
अडग नेम नित आपरो, मुद्दे निभायो मात ।।
चम्पा कुळवट चालतां, वसुधा राखी वात।।7।।

“छन्द जात नाराच”
लियो ज मात लोक में अनूप जन्म ईशरी ।
सुखाय हेतु सिन्ध ने निहारवा तुं नीसरी ।
वडाळ मां विसंभरी धजा त्रिशूल धारणी ।
दयाळ दूनियाव में चम्पा ज मात चारणी ।।1।।
दिलेर वाघदान ओ तिकाह भक्त तात हैं ।
जन्मी भुजाळ जोगणी जिका महेड़ु जात हैं ।
विख्यात मां विशाल हैं अभ्यागतां उबारणी ।
दयाळ दूनियाव में चम्पा ज मात चारणी ।।2।।
इळा बिचाळ अंबिका अनेक रूप आय हैं ।
मिटाय कष्ट मावड़ी सदा करे सहाय हैं ।
बचाय झाल बांह तूं तुरंत दास तारणी ।
दयाळ दूनियाव में चम्पा ज मात चारणी ।।3।।
रदे दया रखायके भुजाळ भीड़ भंजणी ।
सदाय साथ सेवकां गहे पिशूंन गंजणी ।
उबारवा हि आत हैं सबेह काज सारणी ।
दयाळ दूनियाव में चम्पा ज मात चारणी ।।4।।
मिळे न थाग  मानवी अमाप माप आपको ।
रखेह धीर रूदिये जपे तिहार जाप को ।
भजे जिकाह भाव सूं उन्हें सदा उबारणी ।
दयाळ दूनियाव में चम्पा ज मात चारणी  ।।5।।
सच्ची पुकार सांभळे कबू न देर कीजिये ।
सदाय अन्न माल सो दया रखाय दीजिये ।
कमी रखो न कांय की  कृपाळ सुक्ख कारणी ।
दयाळ दुनियाव में चम्पा ज मात चारणी ।।6।।

कलश छप्पया
धरा डीणसी धिन्न , पारकर नगर पिछांणूं ।
मेड़ु कुळ रे मांय , वाघजी गुणी वखांणूं ।।
धनु देवी  धिनवाद , जिका घर चम्पा जाई ।
भजन भाव भरपूर , आप नित करवा आई ।।
दुनिया सिरे परचा देहण आप लियो अवतार हैं ।
कर जोड़ मीर मीठो कहे जाजा मात जुहार हैं ।।

~मीठा मीर डभाल

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