Sun. Apr 20th, 2025

– आशू।।तिकडमी तड़का।।
राग.. खडी नीम रे निचे मैं एकली.
मैं गावड चारण गत नी जाणु चोखी चारण रीत री।
कीकर चिपकी देव चारण रे कीचड कुसंप कुरीत री,
हो एक जमानो इसो सिरदारां,
बेटी बाप घर जाता हा।
पोआई राखण पालणिया सारु,
झुक झुक सीश निंवाता हा .
उलट फेर वियो इण विध आजे,सूंड तणी माल मीत री…
मैं गावड चारण गत ….
आरत भरयो कोई आवे चारण, पूछे बन्ना री पैठ सा,
बखाण बेटे रा कर कर ठाकर, ढींगां चतुर देवे ठेठ सा।
बढा चढा बहुरुप धणी..
भाखर चिण दे भींतडी…
मैं गावड चारण गत नी.. .
म्हारो लाडलो करे तैयारी, कम्पीटिशन आईएस री।
A क्लास अफसर पाको,
चोखी पोस्ट चौइस री।
जुगति सुं जालम  बात जचा दे, फीरयोडे इण फींच री…
मैं गावड चारण गत नीं…
फंस जाल मै फेमीदो चारण,
पूछे विनम्र प्रेम सूं।
कितरो टीको कांईं बन्ना रे।
गेण़ो गांठो लेवसो ।
फरमायश और फरमाय देराओ सा..चुकतु विद्ध विद्ध चीज री…
मैं गावड चारण गत नी ..
लिस्ट लम्बी लम्पट री देख ने,
थिर थिर चारण थम गयो ।
खेत मकान बैचयाँ नी पूरत, संशय मन घुट रहयो ।
अब जो करां इनकार भला तो …अणुती अपकीर्ति …
मैं गावड चारण गत नी .. ..
बड़ो रावलो बाको मोटो,
त्रोटो आटे तेल रो।
कुशल कला कपटी ठाकर,
माहिर ऊंचे खेल रो।
जो खिसकयो ए चारण आजे, पछे छींकां वाली छींकणी…
मैं गावड़ चारण गत नीं…
छोट भायां जद सुणयो समाचार, पहला टेशण पूग गया । कुशलक्षेम मेहमान री किनी,
बाथ घात गम डूब गया ।
कियाँ खादरो भरो खमाघणी..
घर मैं साँप अर बींछणी…
मैं गावड़ चारण गत…
पोल पाखंड री खोल भाइड़ाँ,
नेम चारण रो निभाये दियो ।
एक एक री फींच खांच सारो वगड़ो सिलगाय दियो ।
कला अजब अहो चारण आला..जहर घोले जम.जीभड़ी…
मैं गावड़ चारण गत नी जाणुं …
कला इसी पण जबर काम री, कोई चारण बेटी देवे नी ।
वंश उजाड़ करे वात फेंक ने,
ना कोई बेटी लेवे नीं ।
“आहत” अवगुण ना देख अवर रा, थेपे थोथी थीपणी…..
मैं गावड़ चारण गत नीं जाणुं चोखी चारण रीत री…
कीकर चिपकी देव चारण रे कीचड़ कुसंप री…
जय जोगमाया री भूल चूक माफ करावजो समाज सिरदाराँ ।

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