।। चिरजा ।।
मनवा मात सुमर जग मोंही थारो अवसर जाय अकाजा….टेर
दिल सुध सू आवे दुखियारी,देसनोक दरवाजा ।
रोग दोस हर मात रूखाले,तन कर देवे ताजा ।। मनवा….१
ढोल नगारा झालर ढोलक,बाजे नोबत बाजा ।
चिरजा छंद सुणावे चारण,भक्तन के हिय भाजा ।। मनवा….२
खडतो ऊंट आखडतो खाती,आरत करी अवाजा ।
कडी जोड उण घडी करनला,सूंप दियो गघ साजा ।। मनवा….३
पूंगलपति बिलखियो पुहुमी,कस्ट हरो ममकाजा ।
आई तडित उबारण आडी,मेहाई महाराजा ।। मनवा….४
कूप सुणी अणदे री करुणा,दुनिया मां दिखलाजा ।
पन्नग रुप कूपहर पीडा,पहुंचाई झट पाजा ।। मनवा….५
नेडी जी सुभ धाम निराळो,छबि हरियाली छाजा ।
जंगल मे मंगल कर जाहर,वाहर चढ बनराजा ।। मनवा….६
मोहन करी रावली महिमा,गवरीजे जस गाजा ।
चरण शरण राखजे चण्डी,अवनी री अधिराजा ।। मनवा….७
~मोहनसिह रतनू, उप अधीक्षक पुलिस ऐ सी बी जयपुर