चम्पा माँ री चिरजा
दोहा
प्रथम वन्दन आवड़ा,मोटा करनल माव।
अजय सिंवरै आपनै,चम्पा माँ कर चाव।।
चिरजा
हो म्हारौ बेड़ो पार लगादे म्हारी माय।
म्हारी मावड़ी हो म्हारी माय।।स्थाई।।
आई चम्पा आपनै, सिंवरु बारम्बार।
दरसण दीजै मावड़ी, कानां पड़त पुकार।।1।।
हो म्हारौ बेड़ो पार लगादे म्हारी माय।
म्हारी मावड़ी हो म्हारी माय।
महीनों सावण मावड़ी,आप लियौ अवतार।
ग्यारस ऊजल आविया, भौम उतारण भार।।2।।
हो म्हारौ बेड़ो पार लगादे म्हारी माय।
म्हारी मावड़ी हो म्हारी माय।
मेहडू कुल में मावड़ी,अवनी आया आप।
संकट मेटण सारदा, पारकार धणियाप।।
हो म्हारौ बेड़ो पार लगादे म्हारी माय।।3।।
म्हारी मावड़ी हो म्हारी माय।
बाली उम्र में भगवती, भगती रमिया भाव।
खेत गुरु कर राखिया, चित में करनै चाव।।4।।
हो म्हारौ बेड़ो पार लगादे म्हारी माय।
म्हारी मावड़ी हो म्हारी माय।
धरम धजा कर धारनै,पाळ सनातन प्रीत।
भजणो भगती भाव सूं, राज रखायी रीत।।5।।
हो म्हारौ बेड़ो पार लगादे म्हारी माय।
म्हारी मावड़ी हो म्हारी माय।
पंखिड़ा नै प्रेम सूं, चुगो हाथां चुगाय।
चिड़ी कबूतर कागला, मोर घणा मन भाय।।6।।
हो म्हारौ बेड़ो पार लगादे म्हारी माय।
म्हारी मावड़ी हो म्हारी माय।
मालै भगत री मावड़ी,सगती किन्हीं साय।
पीड़ हटा परमेसरी, कंचन किन्हीं काय।।7।।
हो म्हारौ बेड़ो पार लगादे म्हारी माय।
म्हारी मावड़ी हो म्हारी माय।
परचा अलेखूं आपरा, महिमा अपरम्पार।
भगतां रा माँ भगवती, आई करो उदार।।8।।
हो म्हारौ बेड़ो पार लगादे म्हारी माय।
म्हारी मावड़ी हो म्हारी माय।
कमधज अजेय करनला, गुण तेरा ही गाय।
चम्पा माँ रै चरण में, रैयो सीस झुकाय।।9।।
हो म्हारौ बेड़ो पार लगादे म्हारी माय।
म्हारी मावड़ी हो म्हारी माय।
भूली चूकी भगवती, अम्ब दीज्यो बिसराय।
सिकरोड़ी री सारदा, सगती कीज्यो साय।।10।।
हो म्हारौ बेड़ो पार लगादे म्हारी माय।
म्हारी मावड़ी हो म्हारी माय।
-अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी