Fri. Nov 22nd, 2024

म्हे मेहड़ू पारकरा, धरा प्रथम सुं ध्येय।
झुकण, रुकण जाणां नहीं टणकी
सिंहाँ टेव।।
~आशूदानजी मेहडू

कलिंगर आंजस करो,
आंजसे महेडू आज।
विशोतेर आंजस करो,
राज थकी धनराज।।
~धनराजजी मेहडू (प्रेषित-भवरदान मेहडू)

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