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अरि दल़ण अखियात ओ,
भेर तपै वँश -भांण।
जोध बसायो जगत में,
जस जोगो जोधांण।।

मोरधव्ज चावो मुदै,
महि हद पावण मांण।
गढां सिरोमण गाढधर,
जग जोवो जोधांण।।

वीसहथी नै वीणती,
पह जोड़ की पांण।
थिर नींवी री थापना,
कर दीधी किनियांण।।

अनम असंका ऊपना, 
जस डंका जग जांण।
बंकां राखी वीरता,
जुड़ जोधां जोधांण।।

ऐड़ो प्रवाद प्रचलित है कै रावजी दिन रा कमठो करावता अर रात रा चिड़ियानाथजी री कुठागरी सूं कातियो -पींजियो कपास हुय जावतो। जोधेजी खारी रा बारठ अमरैजी नै देशनोक मेल जोगमाया करनीजी नै नींव देवण बुलाया।
करनीजी आपरै हाथ सूं नींव दी जिणरै दाखलै सरूप खेतसी बारठ मथाणिया रै एक चावै गीत री ओल़्यां-
विमल़ देह धारियां सगत जंगल़धर विराजै,
थांन देसांण श्रीहत्थां थाया।
उठै कव भेजिया राव करबा अरज,
जोधपुर पधारो जोगमाया।।
…….
अवध पनरोतरै समत पनरै इल़ा,
बाघ चढणोतरै वेद वरनी।
गेह बड़ भाग किनियां तण गोतरै,
कल़ा साजोत रै रूप करनी।।

आ ई बात दिग्गज डिंगल़ मनीषी कैल़ासदानजी ऊजल़ आपरै एक गीत में इण भांत लिखी है-
कायम अभय कियो मा करनी,
आदि सगत आवड़ अवतार।
दीनी सुपुल़ नींव दृढ देवी,
निर्भय बसो छांह नरनार।।

जोधपुर थापना दिवस  कोटिशः सगल़ै सैणां नै बधाई शुभकामनावां।
गि.रतनू

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