Sat. Aug 2nd, 2025

आज संकट री घडी हे,
देश पर विपदा पडी हे,
कारगिल कसमीर मे,
कन्ट्रोल लाइन लडखडी हे।
जुध रो बाजे नगारो,
सुण रह्यो हे जगत सारो,
दोसती री आड दुसमण,
पाक सेना अड़वड़ी हे।
सबक तु इणने सिखावण, जेज मत बीरा लगाई।
जीत रणबंका सिपाही, जूंझ रण बंका सिपाही।।१।।

आज भारत मात री फिर
लाज हे थाने बचाणी
आज फिर कसमीर मे अरि,
आय कर रह्यो छेडखानी
सिंघ ने सूतो जगाणो,
आग रे नजदीक आणो
मार खाकर भूल जाणो,
पाक री आदत पुराणी
काट दीजै पांव ताकि, आ सके नी आततायी।
जूंझ रण बंका सिपाही. जीत रण बंका सिपाही।।२।।

हिंद री पावन धरा हे,
जोशमय जर्रा जर्रा हे
क्या कहे इंसान री कथ,
पशु पक्षी भी खर्रा है
जोरवर हमीद जिसडे,
भाटी से रण बांकुरा हे
आज भारत हे अखंडम, पाठ जग फिरसु पढाई।
जूंझ रण बंका सिपाही, जीत रण बंका सिपाही।।३।।

द्रास अर मद्रास तक री
सुभ दुआओं साथ थारे
बाटलिक रे बंकरो मे,
रात दिन हंसता बितारै।
बर्फ मे बोफोर्स री झड़,
गड़गड़ाती गाज सुण कर,
देश हित मे शीश दीजै
झांकजै मत फैर लारै।
फंफैड कर अरि फोज कर, लाहौर पे कीजै चढाई।
जूंझ रण बंका सिपाही, जीत रण बंका सिपाही।।४।।
।।जय हिंद।।

~कवि मोहन सिंह रतनू

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *