Fri. Nov 22nd, 2024
कवि खेतदानजी मीसण ने एक प्रेमावती छन्द में कहा है कि………
 
कूड़ा धुड़ा सबे कबीला, ठग बाजि ठेराया है।
गरज मटी तो मटेया गोठी, गरजे गीत गवाया हे।।

पूरा हेतु सबे पाखंडी, मतलब हेतु मनाया है।
ऐसा एक अचम्भा देखो, जादू खेल जमाया है।।

 
कूड़े कूड़ा कपट जमाना, दुनिया में दरसाया हैं
कलजुग ऐसा काम चलावे, उल्टा हुक्म उपावे हे।।

सत-धर्म बे गेया छोड़ावे, पाप जमाना पाया है।
ऐसा एक अचम्भा देखो, जादू खेल जमाया हे।।

-कवि खेतदान दोलाजी मीसण

By admin

One thought on “प्रेमावती छन्द – कवि खेतदान दोलाजी मीसण”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *