बना सा री मदील मिजाज करै छै।
सिया निरखत मोद भरै छै, रघुवर री मदील मिजाज करै छै।।
सबहि सहेल्यां चढत महल में, सबहि झरोकाँ झुकै छै।
या छबि देखी राम बना री, चंदा री ज्योत छिपै छै।।
बना सा री मदील…………….
सबहि सहेल्यां हंसत घूँघट में, राम बना मुळकै छै।
एक सखी छानैंसी बोली, सिया मन मोद भरै छै।।
रघुवर री मदील…………….
हरियो रेसम तार जरी को, सुबरण कोर खुबै छै।
या सिर सोहै राम बना की, बिणता लूण करै छै।।
रघुवर री मदील…………….
शिव सनकादिक आदि ब्रम्हादिक, संकर ध्यान धरै छै।
कहत समान कँवर दसरथ को, फूल अकास झरै छै।।
सियावर री मदील…………….
बनड़ी निरखत मोद भरै छै, बना सा री मदील मिजाज करै छै।।
~~भक्तिमति समान बाई