Thu. Nov 21st, 2024

अमर शहीद कुँवर प्रताप सिंह बारहठ की वीर माता माणिक्य कँवर के मन के भाव शब्दों में पिरोने का अदना सा प्रयास।

थारै मन री बात लाडेसर, म्हारै सूं अणजाणी के।
जे आँख्यां में पाणी ल्याऊं, भारत री छत्राणी के।

कन्त हजारी बाग जेळ में, बेटो जेळ बरेली में।
देवर जी जंगळ में भटकै, गोरा घुसिया हेली में।
जामाता जूझै गोरां सूं, सगळां मन में ठाणी के।
जे आँख्यां में पाणी ल्याऊं, भारत री छत्राणी के।

अड्यो रह्यो दुस्मयां रै आगै, जुलम सह्या झुकियो कोनी।
सत्ता और सूरमां बिच में, जंग कदे रुकियो कोनी।
डर कर जो घर में घुस बैठ्या, वां री कथा कहाणी के।
जे आँख्यां में पाणी ल्याऊं, भारत री छत्राणी के।।

बेटा थारो बोल सुण्यो जद, हिवड़ो हरख्यो म्हांरो।
कुळ चारण री बढ़ी कीरती, गरब गळ्यो गोरां रो।
मरण पंथ पंथी मतवाळां, लाभ काईं अर हाणी के।
जे आँख्यां में पाणी ल्याऊं, भारत री छत्राणी के।

जामण वा बडभागण बाजै, मनड़ै में मोद मनावै।
जिणरो जायो मातभोम रै, चरणां में सीस चढावै।
जस-जीवण सूं बडी जगत में, है कोई हेमाणी के।
जे आँख्यां में पाणी ल्याऊं, भारत री छत्राणी के।

दूध ऊजाळ गयो अमरापुर, रे बारठ बडभागी।
आजादी रै हवन कुंड में, जोत जगामग जागी।
महादेव गळहार बण्यो थूं, मन उदियासी लाणी के।
जे आँख्यां में पाणी ल्याऊं, भारत री छत्राणी के।

~डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *