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श्री राधव रासो ~ कवि भंवरदान झणकली

भंवर राम भज मन भरीदे वीगती वन दाम।
जुग मा जित रे जीवणो कर ले सुकरत काम।।१॥

वंदन करां हंस वाहणी,उकत जथा उर आण।
राधव राशो राचवां, डींगल चन्दा जाण॥२॥

प्रोळ रखा परमेसरा, जीत विजे जग जाण।
श्राप पायो सनकाद सूं , ईला भया असुराण॥३॥

रावण अधिपति लंक रो, भङ कुंभो ईण भांत।
पुत्र महाबल प्रधट्यो, इन्द्र वीजे अफलात।।४।।

जुध जोङे खळ जीतीया, प्रथ्वी सर्ग पयाळ।
परमेशर सुख पोढिया,वारिद सेज पयाळ।।५॥

सुर अरी नर संभिया, एम धरे डर आस।
सर्व दशा जगदीश रे, पास करण प्रकाश॥६॥

छन्द नाराच
(१३+११*४=९६ लघु गुरु)

ब्रमा महेश विमलेश,मातुलेश मालियां।
सती गुणेश के सिधेश,हुण पेश हालिया।
जठे जगेश जाल धेश,श्री अहेश संगङा।
धनो नरेश आवधेश,राधवेश रंगङा,श्री राधवेश रंगङा।।१।।

सुण अरज्ज राज सज्ज, वारि तज्ज धावित्रं।
सुथान अज्ज मां सुरज्ज, वेश ध्वज कावियां।
विबुध्द सार जुद्ध वार ,बंधु चार बंगङा॥
धनो नरेश आवधेश,राधवेश रंगङा,श्री राधवेश रंगङा।।२।।

विदॆ ईशान के वितान,राव राण रंकङा।
धनू संधान जीत ध्यान, सीत व्यान संकङा।
भंजे कबान द्वीज भान, द्वंद्व ढान डंगङा।
धनो नरेश आवधेश,राधवेश रंगङा,श्री राधवेश रंगङा।।३।।

पुरी सुभात रात पात ,तात भ्रात तजीयो।
विराट थाट पाट छोङ,वाट गीर वाजियो।
सप्रींत दार सीत सार, पति यार पंगङा ॥
धनो नरेश आवधेश,राधवेश रंगङा,श्री राधवेश रंगङा।।४।।

पिता ग्रहास ले प्रवास, वास की वनवास मां।
तपी हुलास देत्य श्रास,हे सराश हाथ मा।
जठे हिराणी जानकी, बयान की विंहंगङा।
धनो नरेश आवधेश,राधवेश रंगङा,श्री राधवेश रंगङा।।५।।

भयो अकाज खोज, खोज भाज सीत वाज शोक मां।
सुकंध साथ प्रींत राज, कंद राज कोख मां।
कपी समाज मीत काज,मेल साजु मंगङा।
धनो नरेश आवधेश,राधवेश रंगङा,श्री राधवेश रंगङा।।६।।

भया अरात भ्रात भ्रात, कीश जात कंकली।
अनुज घात आफलात ,जेठ तात जंगली।
वालि पछाङ वीध ताङ,खींच चाङ खंगङा।
धनो नरेश आवधेश,राधवेश रंगङा,श्री राधवेश रंगङा।।७।।

करे नदीश पार कोश, धार रीश धाविये।
लखे हरीश लंक धीश,अंत रीश आविये।
सिया संभाळ ले सवाल, लंक जाल लंगङा।
धनो नरेश आवधेश,राधवेश रंगङा,श्री राधवेश रंगङा।।८।।

समुन्द्र पार बेसुमार, सॆन तार शाबली।
हरी हुंकार के हजार, व्यूह वार माबली।
अधोर पाप हरण आप, जोर थाप जंगङा।
धनो नरेश आवधेश,राधवेश रंगङा,श्री राधवेश रंगङा।।९।।

कपी कटक्क ले कटक्क, हे चटक्क हे में।
हरक्क द्वीप हक्क बक्क, गे पटक्क गे मरं।
दटक्क लंक द्रगङा,मटक्कता म्रदंगङा।
धनो नरेश आवधेश,राधवेश रंगङा,श्री राधवेश रंगङा।।१०।।

भीङया पलंग दॆत भंग, अंग दंम ब्रजं गङा।
उडे बरंग अंग अंग श्रोण गंग संगङा।
प्रलंग ज्वाल ज्यु पतंग, प्राजलंग पंन गंग।
धनो नरेश आवधेश,राधवेश रंगङा,श्री राधवेश रंगङा।।११।।

सझे उनींक मां समीक खाग झीक पाख रा।
कीधो भभीक लंक धीक ठीक लीक ठाकरा।।
मधुकर(भांवरदान) के मान सु वखान राम वंगङा॥
धनो नरेश आवधेश,राधवेश रंगङा,श्री राधवेश रंगङा।।१२।।

कुंडलिया
रांगङ कुंवर दशरथ रे, धूस लंका अण दंग।
लो उदध लंकेश सू, जीत लीयो भङ जंग॥
जीत लीयो भङ जंग, वारद पाज बधया।
उनङा पंथ अोलंघ,राकश वंश रुलाया।
अरीया भांग अभंग भूप अजोधा पुर भया।
राम रावण जुध रंग, कर जोङे भंवर कया॥

~कवि भंवरदान झणकली

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