Sat. Apr 19th, 2025

सुध बुध समपो सगती देमां करूँ अरदास
परवाड़ा तोरा पढां पींगळ छंद प्रकाश।।1।।

शरण लीधी फते सिंह जी माघण धर मंझार
वळीयो मारण वाखरो चारण वर्ण चकार।।2।।

चूंथ पातां धन चोरटे एक कियो ढिग आंण
कलंक कमायो कपटी किणियन राखी कांण।।3।।

चारणा रो अन्न मत चरे आंण दीनी उस्मान
धन घोड़ी तुझ धीरता धरियों नी मुख धान।।4।।

जो जुगती जमरों जड़ी चनण घृत चढ़ाय
नमण करे नवलाख नों बैठी देमां विरदाय।।5।।

जण वेळा कमधजड़े पूछ्यो मोत प्रमाण
मात कयो परभात मों झड़े झीभ कट जाण।।6।।

माटा जळ चड़सी मुखां पुन पड़सी तुझ प्राण
हर समरे शकती हमे जाय कियो जमराण।।7।।

छंद रूप मुकुंद
जलियो कर जमर गात गनीझर मात देमां जगतंब मुणे
कड़की जिम इंदर मेघ सजाकर हाथळ बज्जर कंस हणे
पड़ियो मुरछाकर भाखर पाधर भैरव धोकर कंध भगी
दलियो भल सबळ मात देमां दळ प्रबळ हाथळ दैत पूगी महा प्रबळ हाथळ दैत पूगी।।1।।

माघणां सत देख कमधज मूरख चालण काज तूरी चड़ियो
थड़ियों हय पीठ थकाय थरत्थर पोर तीजे पंथ मो पड़ियो
पड़गी झड़ कंठ जबान प्रभातय प्राण तज्यो गलगाय पूगी
दलियो भळ सबळ मात देमां दळ प्रबळ हाथळ दैत पूगी महा प्रबळ हाथळ दैत पूगी।।2।।

संग राज लाछां सर काज शकतीय झुलर सत्थिय रथ झिले
जोगणी खित पतीय भैरव जतीय मांग मुगतिय संग मिले
उठ कीध आरतीय शंकर सतीय अमर वलीय ना अगगी
दलियो भळ सबळ मात देमां।।3।।

विरदाय देमां सुर व्रन्द वधावण नीमन्त थाळ भराय नगां
अरदाय मुनी रिखराज इन्द्रादक देव समाज दिखाय दृगा
गुण गाय सरावत किन्नर गंध्रव अमर आय जुड़ाव अगी
दलियो भळ सबळ मात देमां।।4।।

उठ जोड़ अभेकर जाप अपच्छर आप भलां सुर धाम अया
करनल राजल हिंगोळ कांमइय मामड़ जाहिय जोगमया
धंनकार दिया दुर्गा वड़ देवल भांग अरि पल भीड़ भगी
दलियो भळ सबळ मात देमां।।5।।

सुण वात नवे नथलाख शकतीय ध्यान डिगम्बर सिद्ध धरे।
उचरे धुन वेद अस्तुतिय आरत सात ब्राहमंड साद सरे
सुर कुंज ऐरावत मात नमे सिर रीझत गा कमधेन रगी
दलियो भळ सबळ मात देमां।।6 ।

ग्रहै वींण हथा गणिका भंण ग्रायण रायण पांण वारंग रमे
झुकता झुन झुन बजे पग झांझर मंझर धुन सारंग गमे
धन धन देवी तुझ तारण धीवण वास सुनन्दन वन वगी
दलियो भळ सबळ मात देमां।।7।।

झट पट पर्या पट घूंघट ले झट चंद्र छटा चेहरा चमके
भमके कटि शेल पटा जिम भोयंग घोर त्रबांट दधि धमके
दमके षट आठ रतन दशो दिश घाट देवा सुर थाट लगी
दलियो भळ सबळ मात देमां।।8।।

धड़के धर नाद आभूषण धमंक दमंक दीग जड़ा दड़के
कड़के धड़ कछड़ पीठ कड़ाकड़ थाबड़ शेल गड़ा थड़के
तड़के किवलास तळा पड़ ताड़क भूतड़ सेन तांभाड़ भगी
दलियो भळ सबळ मात देमां।।9।।

बंब कंब बंबाड़ मृदंग घटा बंब दंत बंबा दमणी दमके
अंबरा चड़ बंब बंबाळ बराबर बंब वृदारक अंबुद के
अंब रंब वृषा अंबु जम्ब अंबु बंब संब सुबंब प्रलंब सगी
दलियो भळ सबळ मात देमां।।10।।

रुचियों रंग रास रेवास रम्भापुर सूर्य निवास गृहास समे
परहास शेलास अंकाश प्रकाशत भाष निशा उलकास भमे
हममे सपतास अवास तजे हँस भ्रंम ऊषा रजनी सुभगी
दलियो भळ सबळ मात।।11।।

इज वास करे सरगास अहोनिस काम पड़या धर आय करे
विचरे सत लोक गेणाक वैंकुटाय सूर शशि मंडलाय सरे
समरे पन जोड़ मधुकर सारंग लोचन तौ पद पंक लगी
दलियो भळ सबळ मात।।12।।

छप्पय
प्रबळ हाथळ आप भांग गुड़े पत भाखरो
प्रबळ हाथळ आप शत्रु किया सब साथरो
प्रबळ हाथळ आप परचा दीना पातां
प्रबळ हाथळ आप स्याय कीनी सुपाता
झणकली राय देमां जपां अमर नाम इल अंबरा
भँवर दान मत भूलजो रूप मुकुंद जगतंब रा।।

~कवि भंवरदान झणकली

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