संकटो में घिरे हुवे सेनानी का सन्देश ~ कवि भंवरदान झणकली
दोहा
मात सन्देशो मेलियो बेटा छोड़ विवाद।
खुश कर याया खान नां आ जा होय आजाद ।।1।।
मात पिता घुट घुट मरे अरि करे अपमान।
दुख दे मारे दुलातियां खचर् टिका खाँन।।2।।
दुष्ट फौजां इण देश नां कीधो कब्रिश्तान।
एक करोड़ प्रजा हुई दाखिल हिन्दुस्तान ।।3।।
बंग देश री बेटियां बिक रही अरब बाजार।
लाखां री इज्जत लूटी विधवा हुई अपार।।4।।
देश प्रेम दिरावसी तनां फांशी वालो फंद।
प्रेम तज्या तूं पावसी एस आराम आनन्द।।5।।
पुरे पाकिस्तान रो वनतो अवल वजीर
क्यां आजादी रे कारणे ते फोड़ी तकदीर।।6।।
अस्सी बरस री ओसता बूढ़ा माय न बाप।
मेटण आय मुजीबड़ा शत्रुआं तणो सन्ताप।।7।।
शेख पढ़े अफशोष मां रहियो आखी रात।
कौण सुंणे किणसु कहे बलते मन री बात।।8।।
पोर भयो प्रभात रो नमियो पढ़ण नमाज।
बंदी खान रे बारणै आई एक आवाज।।9।।
गीत
बंग बन्धु रे सामने बेठो कागलो आय करीब।
एकला पण री त्याग उदयासी मुलकियो शेख मुजीब।।
कागा वेरी मात नां कहिजे जाजा दुःख जामणी सहीजे ।।1।।
बांध आंखां कहां लावियो भेरी चाले न खबरचार।
एकलड़े ना घेर ने उभा जाब्ते दार हजार।।
कागा वेरी मात नां कहिजे जाजा दुःख जामणी सहीजे।।2।।
पंख बेहुणा मानवी पंगु निरख नेसासो नांख।
धन्य कागा जूण थारी जो पीठ पर धारी पाँख।।
कागा वेरी मात नां कहिजे जाजा दुःख जामणी सहीजे।।3।।
आज मिले जो पंख उधारी हूँ उड़ आवा अणवार।
जन्म धरती थारा कष्ट प्रजालण पहुंचा समुन्द्र पार।।
कागा वेरी मात नां कहिजे जाजा दुःख जामणी सहीजे।।4।।
मात्र भूमि इण रोज माँ मांगे बेटड़ा रो बलिदान।
लाख छनिछर होय ने लागो खेद सु यायाखान।।
कागा वेरी मात नां कहिजे जाजा दुःख जामणी सहीजे।।5 ।।
जुल्म दुष्टा रा सहजो जणणी देख फोरी तकदीर।
सत्य सारू में शहीद होवाँ तो नेण मत धारे नीर।।
कागा वेरी मात नां कहिजे जाजा दुःख जामणी सहीजे।।6।।
स्वतन्त्रता री आग सुलगे जारे अंते बिच अजीब।
बंग माता ना बालक बणसी साबता शेख मुजीब।।
कागा वेरी मात नां कहिजे जाजा दुःख जामणी सहीजे।।7।।
सात कोटि बंग देश रा वासी लाडका थारे लाल।
प्रिये पड़ोसी आपरे पियर बांधू हिन्द बंगाल।।
कागा वेरी मात नां कहिजे जाजा दुःख जामणी सहीजे।।8।।
मुक्ति वाहिणी दुष्मणिया रा ख्वाब कर देसी ख़ाक।
मातृभूमि सूं उतार पदमां मां नाखसी नाम नापाक।।
कागा वेरी मात नां कहिजे जाजा दुःख जामणी सहीजे।।9।।
जीण जीणा रा याया नाजी बेहू होसी बर्बाद।
एक दिन होवेला अम्बर सोना रो बंगला देश आजाद।।
कागा वेरी मात नां कहिजे जाजा दुःख जामणी सहीजे।।10।।
सर्व भाया ना एक संदेशो खोल सुणाजे ख़ास।
बापू जवाहर छोड़ने वणजो सुरमा वीर सुभाष।।
कागा वेरी मात नां कहिजे जाजा दुःख जामणी सहीजे।।11।।
अहिंशा रा उपदेश न ओपे कशाइया रे कान।
कुटियां बिना कार नी करे गदेड़ा रे ज्ञान।।
कागा वेरी मात नां कहिजे जाजा दुःख जामणी सहीजे।।12।।
एक दिन आखिर तुटसि अम्मा सपना वाला सम्बन्ध।
फुलड़ा तो झड़ जावसी फीर भी शेष रह जावसी सुगंध।।
कागा वेरी मात नां कहिजे जाजा दुःख जामणी सहीजे।।13।।
प्राण त्यागे पण पाले ए सुरविरा री शान।
बंग बन्धु रो सन्देश सुणावे बारट भंवर दान।।
कागा वेरी मात नां कहिजे जाजा दुःख जामणी सहीजे।।14।।
~कवि भंवरदान झणकली