हा हा बौल कबूतर बौल खौटा रा पड़दा खौल – कवि भंवरदान झणकली
नैक पंखी कल़ जुग रा नारद भाग भरयौ तू भाई।
दैश हिन्द मा काईक दिठौ बतलादै कोक बधाई।।
हैकातां कर कोई हथाई चौखी गप शप चौल़।
हा बौल कबूतर बौल खौटा रा पड़दा खौल।।1।।
मै तौ रमता जौगी महला सू झूपड़ीया लग जावा।
ऊच नीच रौ भैद नी आणा़ घर घर अलख जगावा।
गुटकू गुटकू कर गावा मन री बाता़ अञमौल।
हा हा बौल कबूतर बौल खौटा रा पड़दा खौल।।2।।
पुलिस तौ प्रजा री रक्षक क्यौ भक्षक कहलावै।
कौतवाल जी घूस कतल चोरी मा़ बढती चावै।
मुन्शीजी धूम मचावै मुड़दा रा चूकै मौल।
हा हा बौल कबूतर बौल खौटा रा पड़दा खौल।।3।।
अस्पताल़ मा पड़्या अनैका चीख पुकार मचावै।
सरकारी डाक्टर साहब गलीया़ मा चक्कर लगावै।
फीसा़ खीसा़ फुलावै छुरीया सु चाम्बड़ छौल।
हा हा बौल कबूतर बौल खौटा रा पड़दा खौल।।4।।
नैता करतै नाच दैश मा सरग बनावण सारू।
झूठा कवल़ करै जनता सू हुड़दंग बाज हजारु़।
दसीया ना पावै दारू़ मांगै वौटा रौ मौल।
हा हा बौल कबूतर बौल खौटा रा पड़दा खौल।।5।।
एक रुपईयी लै ईन्सपैक्टर मान् बैच जख मारौ।
जीण कारण बाजा़रा मा बईमानी री पौ बारे
हर तरफ हाय तौबा है पोपा मां माची पोल।
हां हां बौल कबूतर बौल खौटा रा पड़दा खौल।।6।।
मंत्रीजी सुता महल़ा मै खुब मलीन्दा खावै।
लूट खसोट करै ल़ौक़ा सू अफसर मौज उड़ावै।
ला़खा री रिश्वत लावै प्रज़ा मा दीठी पौल़।
हां हां बौल कबूतर बौल खौटा रा पड़दा खौल।।7।।
ठैकेदार बण्या अब ठाकर मजदूरा रौ हक मारै।
न्यायाधीश बिना ना़णै अरजी लैता ईनकारै।
वकीलड़ा बणजारा बैचै नीत नीत झूठ़ा बौल़।
हा हा बौल कबूतर बौल खौटा रा पड़दा खौल।।8।।
बन्या विचारै आज विडीयौ लाख़ा बजट लुटावै।
आध़ी रिश्वत हड़फ ईन्जीनीयर मांगी कार मौलावै।
विकाश विनाश करावै रीश्वत री रांफ़ा रौल़।
हा हा बौल कबूतर बौल खौटा रा पड़दा खौल।।9।।
~कवि भंवरदान झणकली