दईयाणौ थलवट देश – कवि भंवरदान झणकली (वैल) 15/03/1968
मीनां समुंदर कूंगर मौरा हंसा सरवत हैत।
केहर गिरवर कूप कबूतर जौधारा जुध खेत।।
पदमणियां ना पिहर प्यारो जैरौ हिलो आवै हमेश।
दईयाणौ मनां वालौ रे थलवट देश रलियाणौ मनां प्यारो रै मुड़धर देश।।
उगमणी दिश शहर उदैपुर आथांणौ अमराण।
नीकां पाणी देश नै पालू जैरा खेडूंत हीरा खांण।।
रंग बिरंग पणघट रूडीं वखतावर सादे वैश।।
दईयाणौ मनां वालौ रे थलवट देश रलियाणौ मनां प्यारो रै मुड़धर देश ।।
ईयै रै धरां रा नगर अनौखा गढ रूखाला गाम।
बिडला बांगड सरीखा बिलाला धनपतिया रा धाम।।
रूपौ नीपजै थलियां रलियाणी जेरा परवत सौनौ पेश।
दईयाणौ मनां वालौ रे थलवट देश रलियाणौ मनां प्यारो रै मुड़धर देश ।।
बावन गढां री ख्यात वखाणूं जेना मेवाडौ सिरमौड।
इतिहासां मां अमर कहिजै रण बंका राठौड।।
पुष्कर जैसा तीरथ कहिजै अर पाबुगिरी ऐश।
दईयाणौ मनां वालौ रे थलवट देश रलियाणौ मनां प्यारो रै मुड़धर देश।।
श्रामण महिणे सरवर भरिया धामण हरिया धोर।
गोचर खेडा धैनां गहूकै मगरां टहुकै मौर।।
घौडला ढूला करिहा गौतुलां भली एवड थाता भैंस।
दईयाणौ मनां वालौ रे थलवट देश रलियाणौ मनां प्यारो रै मुड़धर देश।।
बाजरडीश खेत सवायां वले बोरडीया रा बाग।
मेवा पिलु बोर मतीरा ग्वार फली रो साग।।
वैरा सरसे अमरत वरसे माजौ साचो दैव सुरेश।
दईयाणौ मनां वालौ रे थलवट देश रलियाणौ मनां प्यारो रै मुड़धर देश।।
वस्ती वस्ती व्याव वधाणां घर घर घुमर ढौल।
रीतां पुराणी रयाणां रीझावै मांजा बांधव मीठा बौल।।
काना मुरकै पगां कसूंबल वले औढण ऊना खेश।
दईयाणौ मनां वालौ रे थलवट देश रलियाणौ मनां प्यारो रै मुड़धर देश।।
धरती माता जीवण दाता एना मोटी विधाता मान।
मुडधर दीठा हरष मनावै बारट भंवर दान।।
जुझारां री जणणी कहीजै जेरी कीरत गावै कवैश।।
दईयाणौ मनां वालौ रे थलवट देश रलियाणौ मनां प्यारो रै मुड़धर देश।।
~कवि भंवरदान झणकली